क्या राहुल गांधी चुनाव हारने पर ईवीएम पर दोष लगाने लगते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी चुनाव हारने पर ईवीएम पर आरोप लगाते हैं।
- शशांक मणि त्रिपाठी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
- वंदे मातरम के बारे में विवादित तथ्य सामने आए हैं।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने मंगलवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे चुनाव हारते हैं, तो ईवीएम पर दोष लगाने लगते हैं।
भाजपा सांसद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि हर बार जब राहुल गांधी चुनाव में पराजित होते हैं, तब वे धांधली, ईवीएम और भ्रष्टाचार की बातें करने लगते हैं। मेरी राय में उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि भारत के लोग वास्तव में क्या चाहते हैं। अगर वे हमारी पार्टी की तरह ध्यान केंद्रित करते, प्रधानमंत्री के उदाहरण पर चलते और एक विकसित भारत की दिशा में काम करते, या सम्मानित नेताओं की तरह राष्ट्रीय प्रगति के लिए प्रयास करते, तो जनता उनका समर्थन करती। जनता की इच्छाओं का उनके लिए कोई महत्व नहीं है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा वंदे मातरम को लेकर पेश किए गए तथ्यों पर शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा कि जब प्रियंका गांधी ने कुछ तथ्य पेश किए, तब मैं लोकसभा में मौजूद था, और मुझे लगता है कि गजेंद्र सिंह ने तुरंत खड़े होकर इसे गलत बताया। उन्होंने दावा किया कि वंदे मातरम के पहले दो छंद पहले लिखे गए थे और बाकी बाद में। जबकि हमारी जानकारी के अनुसार, सभी छंद एक साथ लिखे गए थे। उन्हें इन सभी दावों के लिए सबूत देने चाहिए। बेबुनियाद बातें करना सदन के लिए उचित नहीं है। राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा। अमित शाह का जो बयान है, वह पूरी तरह सही है।
ज्ञात हो कि राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जब अंग्रेजों ने वंदे मातरम पर कई प्रतिबंध लगाए, तब बंकिम बाबू ने एक पत्र में लिखा था, "मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मेरे सभी साहित्य को गंगा जी में बहा दिया जाए। यह मंत्र वंदे मातरम अनंत काल तक जीवित रहेगा, यह एक महान राष्ट्रीय गीत होगा और लोगों के हृदय को जीत लेगा, और भारत के पुनर्निर्माण का यह मंत्र बनेगा।" आज बंकिम बाबू के ये शब्द सच हुए हैं। देर से ही सही, यह पूरा राष्ट्र आज सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिकल्पना को स्वीकार कर आगे बढ़ रहा है।