क्या राहुल गांधी का बिहार की जनता से कोई सरोकार नहीं है? : प्रवीण खंडेलवाल

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की यात्रा पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है।
- बीजेपी सांसदों का मानना है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है।
- बिहार की जनता को राहुल गांधी की असली मंशा समझ में आ रही है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं। उनकी इस यात्रा को लेकर राजनीतिक बयानों का सिलसिला शुरू हो गया है।
बिहार में कांग्रेस और राजद की 'वोटर अधिकार यात्रा' पर बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह कोई वोटर अधिकार यात्रा नहीं है। वोट के अधिकार की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है, किसी राजनीतिक दल की नहीं। राहुल गांधी कितनी भी यात्राएँ निकालें, लेकिन बिहार की जनता अच्छी तरह जानती है कि राहुल गांधी का बिहार की जनता से कोई संबंध नहीं है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें सबक सिखाने का काम करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि यह यात्रा पूरी तरह से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए की जा रही है। असली समस्या यह है कि उनकी पार्टी बिहार में अपनी जमीन खो रही है और राहुल गांधी उस खोए हुए समर्थन को वापस पाने के लिए यह यात्रा कर रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा किसी न किसी को अपनी हार के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। अब वे वोट के मुद्दे को उठा रहे हैं। सभी जानते हैं कि कांग्रेस ने वोटों को लेकर हमेशा भावनात्मक कार्ड खेला है। जब राजीव गांधी का निधन हुआ था, तो चुनाव आयोग को केवल एक सीट का चुनाव रद्द करना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय देश भर में सभी चुनाव तीन हफ्ते के लिए स्थगित कर दिए गए। चुनाव आयोग पर सवाल उठाने की बजाय कांग्रेस पार्टी को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि राहुल गांधी को समझ नहीं आ रहा कि वे क्या कर रहे हैं। उन्होंने 'भारत जोड़ो यात्रा' भी की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। मैं आपको बता दूं कि अगर किसी ने कभी वोटों के साथ छेड़छाड़ की है, तो वह कांग्रेस पार्टी थी।
वहीं, भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने कहा कि सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं कि कैसे राहुल गांधी के परिवार ने 'वोट चोरी' की। सोनिया गांधी को यह बताना चाहिए कि जब वे देश की नागरिक नहीं थीं, तो उन्हें वोट करने का अधिकार कैसे मिला। कांग्रेस पार्टी को चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने के बजाय अपने इतिहास को याद करना चाहिए।