क्या राहुल गांधी ने 'वंदे मातरम' का अपमान किया? : जगदंबिका पाल
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
- 'वंदे मातरम' का 150वां वर्ष मनाया गया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस गीत के महत्व को उजागर किया।
- संसदीय परंपराओं का पालन आवश्यक है।
- यह गीत स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है।
नोएडा, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लोकसभा में सोमवार को विशेष चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन दिया। इस दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी उपस्थित नहीं थे। भाजपा ने उनकी अनुपस्थिति पर तीखा हमला बोला है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल ने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने 'वंदे मातरम' के 150वें वर्ष पर एक अत्यंत प्रभावशाली संबोधन किया। नेता प्रतिपक्ष के नाते राहुल गांधी का यह दायित्व था कि वे सदन में उपस्थित रहें और इस महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लें, लेकिन वे जानबूझकर अनुपस्थित रहे।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि यह केवल 'वंदे मातरम' के प्रति अनादर नहीं है, बल्कि यह संसदीय परंपराओं और लोकतंत्र का भी अपमान है। जब 'वंदे मातरम' पर चर्चा हो रही हो और नेता सदन संबोधन दे रहे हों, तब यह मर्यादा की बात है कि नेता प्रतिपक्ष सदन में उपस्थित रहें। लेकिन, वे नहीं थे।
उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम' ने न केवल ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाई में लोगों को एकजुट किया, बल्कि अनगिनत बलिदानों की प्रेरणा भी दी। जब ब्रिटिश सरकार ने इसे गाने वालों को दंडित किया और बच्चों तथा साधुओं को पीटा, तब भी 'वंदे मातरम' आजादी की प्रेरणा बनकर आगे बढ़ता रहा।
उन्होंने यह भी कहा कि जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सदन को संबोधित कर रहे होते हैं, तो नेता सदन भी उपस्थित रहते हैं। इसलिए, जब 'वंदे मातरम' पर चर्चा हो रही थी, तो उन्हें भी उपस्थित रहना चाहिए था। कांग्रेस के शासनकाल में जब 'वंदे मातरम' गीत को 100 वर्ष पूरे हुए, तब इसके बारे में चर्चा भी नहीं हुई थी। अब जब यह गीत 150 साल पूरे कर रहा है, तो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इसे उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
उन्होंने अंत में कहा कि क्रांतिकारियों ने इस गीत को गाकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों ने विभाजन की राजनीति की, लेकिन 'वंदे मातरम' के माध्यम से क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की नींव हिला दी, जिससे भारत को गुलामी से मुक्ति मिली।