क्या ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा में कमी रही? : राहुल गांधी

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा में कमी स्वीकार की।
- उन्होंने ओबीसी मुद्दों को समझने का संकल्प लिया।
- तेलंगाना में डेटा का महत्व स्पष्ट किया गया।
- देश में 90 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व नहीं था।
- राजनीतिक दलों को सभी वर्गों की आवश्यकताओं को समझना चाहिए।
नई दिल्ली, 25 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित 'भागीदारी न्याय सम्मेलन' में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित किया, साथ ही यह भी स्वीकार किया कि कांग्रेस और उनका कार्य ओबीसी के हितों की रक्षा में अपेक्षित तरीके से नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आज वे ओबीसी मुद्दों को और बेहतर तरीके से समझते हैं और उनके हितों की सुरक्षा के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।
राहुल गांधी ने सम्मेलन के दौरान कहा, "मैं 2004 से राजनीति में हूं और मुझे अब 21 साल हो गए हैं। जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं और अपने कार्यों का आत्मविश्लेषण करता हूं, तो मुझे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे नजर आते हैं जैसे भूमि अधिग्रहण बिल, मनरेगा, भोजन का अधिकार, जनजातीय बिल, और नियामगिरी की लड़ाई। इनमें मैंने सही दिशा में कार्य किया। जहां तक आदिवासियों, दलितों, और महिलाओं के मुद्दों का सवाल है, मैंने अच्छा काम किया।"
उन्होंने आगे कहा, "जब मैं पीछे देखता हूं तो एक बात स्पष्ट होती है कि ओबीसी वर्ग की रक्षा में मुझे कमी रह गई। मुझे ओबीसी के मुद्दों की गहराई से समझ नहीं थी। अगर मुझे उस समय ओबीसी के मुद्दों की जानकारी होती, तो मैं तत्काल जातिगत जनगणना करवाता। यह मेरी गलती है, जिसे मैं सुधारने की कोशिश कर रहा हूं। हालांकि, यह भी सच है कि यदि मैंने पहले जातिगत जनगणना करवा दी होती, तो शायद परिणाम आज जैसे न होते।"
तेलंगाना में जाति जनगणना के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी ने कहा, "21वीं सदी डेटा की है। तेलंगाना में उपलब्ध डेटा हमें यह बताने में मदद करता है कि वहाँ के सभी कॉर्पोरेट क्षेत्रों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों की संख्या कितनी है। हमारे पास जो डेटा है, वह यह दर्शाता है कि तेलंगाना में एससी, एसटी, ओबीसी को उचित पैकेज नहीं मिल रहा है। यदि हम मनरेगा या गिग वर्कर की सूची देखें, तो यह स्पष्ट है कि वे सभी एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से हैं।
'भागीदारी न्याय सम्मेलन' में राहुल गांधी ने यह भी कहा कि देश में दलित, पिछड़ा, आदिवासी, और अल्पसंख्यक वर्ग की कुल जनसंख्या लगभग 90 प्रतिशत है। लेकिन जब बजट का वितरण हो रहा था, तो उस समय 90 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व नहीं था। देश की 90 प्रतिशत जनसंख्या ही उत्पादक शक्ति है। आप हलवा बनाने वाले हैं, लेकिन हलवा औरों द्वारा खाया जा रहा है। हम यह नहीं कहते कि वे हलवा न खाएं, लेकिन कम से कम आपको भी मिलना चाहिए।