क्या चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से दोबारा शपथ पत्र मांगकर कांग्रेस को किया परेशान?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी पर चुनाव आयोग द्वारा शपथ पत्र की मांग किया जाना।
- कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि यह इज्जत बचाने का प्रयास है।
- महुआ मोइत्रा ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं।
- 2018 में ओपी रावत का बयान कि जांच जरूरी है।
- क्या भारत में चुनाव आयोग की स्थिति नॉर्थ कोरिया जैसे देशों के समान हो रही है?
नई दिल्ली, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से फिर से शपथ पत्र मांगा है, जिसके कारण कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों में रोष फैल गया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मांग चुनाव आयोग की ओर से अपनी इज्जत बचाने का एक प्रयास है।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "राहुल गांधी ने सभी साक्ष्य जनता के समक्ष रखकर चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट में हो रही 'वोट चोरी' को उजागर किया है, जिस पर पूरे देश का भरोसा है। चुनाव आयोग द्वारा शपथ पत्र की मांग बेहद बेतुकी और इज्जत बचाने की कोशिश लगती है।"
उन्होंने आगे कहा, "एनडीए सरकार के दौरान 2018 में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा था कि जब वे चुनाव आयुक्त थे, तब यदि कोई वरिष्ठ नेता आरोप लगाता तो चुनाव आयोग स्वयं उसकी जांच करता और जनता के सामने तथ्य प्रस्तुत करता, जिससे लोगों का चुनाव आयोग पर विश्वास बना रहता।"
अशोक गहलोत ने सवाल उठाया कि अगर राहुल गांधी द्वारा किया गया खुलासा किसी खोजी पत्रकार या मीडिया संस्थान द्वारा किया जाता तो क्या चुनाव आयोग उन आरोपों की निष्पक्ष जांच करता या उनसे शपथ पत्र मांगता? क्या भारत में भी नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस की तरह एक पार्टी का शासन स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है?
कांग्रेस के अलावा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा, "एफिडेविट एक शपथित घोषणा होती है कि दी गई जानकारी व्यक्ति के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सत्य है। यहां तो चुनाव आयोग के अपने ही दस्तावेजों का इस्तेमाल वोट चोरी साबित करने के लिए किया गया है, तो फिर एफिडेविट की जरूरत क्यों?"
असल में, 7 अगस्त को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गंभीर आरोप लगाए कि देश में विपक्ष चुनाव इसलिए हार रहा है, क्योंकि चुनाव आयोग वोटों की चोरी में सम्मिलित है। इस दौरान उन्होंने बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा सीट के नतीजों और वोटर लिस्ट में कुछ मतदाताओं के नामों को खुलासे के तौर पर दिखाया था।