क्या राजस्थान के कई इलाकों में बारिश से गांवों में जलभराव हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- राजस्थान में हुई बारिश ने किसानों को राहत दी।
- जलभराव ने ग्रामीणों को परेशान किया।
- तालाबों में पानी का भराव हुआ।
- बिजली की कटौती से आम जनता को दिक्कतें आईं।
- बेहतर जल प्रबंधन की आवश्यकता है।
अजमेर, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अजमेर जिले के पीसांगन उपखंड मुख्यालय और उसके आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में बीती रात मौसम ने अचानक करवट ली, जिसके परिणामस्वरूप ढाई घंटे तक चली मूसलाधार बारिश ने पूरे क्षेत्र को जलमग्न कर दिया।
इस बारिश ने जहां एक ओर किसानों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी, वहीं दूसरी ओर निचली बस्तियों में जलभराव की समस्या ने लोगों को परेशान किया। तालाबों में पानी की बंपर आवक हुई, जिससे कई तालाब लबालब हो गए। बीती रात करीब साढ़े नौ बजे आसमान में बादलों की हलचल तेज हुई और रिमझिम बारिश का सिलसिला शुरू हुआ।
यह रिमझिम बारिश करीब दो घंटे तक चलती रही। इसके बाद सुबह साढ़े पांच बजे से बारिश का दौर फिर शुरू हो गया, जो सुबह छह बजे मूसलाधार बारिश में बदल गया। यह तेज बारिश सुबह से लगातार जारी रही, जिसके चलते पीसांगन उपखंड मुख्यालय के साथ-साथ फतेहपुरा, रामपुरा डाबला, बुधवाड़ा, कालेसरा जैसे कई गांवों की निचली बस्तियां पानी में डूब गईं। जलभराव के कारण लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस बारिश ने जहां किसानों के लिए राहत की सौगात लाई, वहीं बिजली गुल होने से आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा। खेतों में पानी की आवक से किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर देखने लायक थी, क्योंकि यह बारिश फसलों के लिए वरदान साबित हो सकती है। तालाबों और तलैयों में पानी का भराव होने से जल संरक्षण की दृष्टि से भी यह बारिश महत्वपूर्ण रही। लेकिन मूसलाधार बारिश के बावजूद उमस बरकरार रही।
इस प्राकृतिक घटना ने एक बार फिर प्रकृति की दोहरी मार को उजागर किया। जहां एक ओर बारिश ने सूखे की आशंका को कम किया और किसानों को उम्मीद की किरण दिखाई, वहीं जलभराव और बिजली की कटौती ने आम लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी की। यह बारिश न केवल मौसम की बदलती प्रवृत्ति को दर्शाती है, बल्कि बेहतर जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की जरूरत को भी रेखांकित करती है।
-- राष्ट्र प्रेस
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