क्या राजस्थान के चूरू में वायुसेना का लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- जगुआर लड़ाकू विमान भारत की वायुसेना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- दुर्घटना के कारणों की जांच चल रही है।
- स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है।
- पिछले कुछ वर्षों में जगुआर विमानों के कई अपग्रेड्स किए गए हैं।
- इस साल का यह तीसरा जगुआर विमान हादसा है।
जयपुर, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के चूरू जिले के राजलदेसर थाना क्षेत्र के भानुदा गांव में भारतीय वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इस घटना में दो व्यक्तियों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है।
स्थानीय प्रशासन ने इस दुर्घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि चूरू के जिला कलेक्टर अभिषेक सुराना और पुलिस अधीक्षक जय यादव भी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। उन्होंने जानकारी दी कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इलाके को घेर लिया गया है और अनधिकृत व्यक्तियों को वहां जाने से रोका जा रहा है।
उन्होंने कहा, "मलबे के पास से बुरी तरह क्षत-विक्षत शरीर के अंग बरामद किए गए हैं।"
सूत्रों के अनुसार, यह विमान सूरतगढ़ बेस से उड़ान भरने के बाद रतनगढ़ के भनोदा गांव के पास एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। वायुसेना ने घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने आसमान में तेज धमाके की आवाज सुनी, जिसके बाद आग और धुएं का गुबार दिखाई दिया। विमान का मलबा खेतों में दूर तक बिखर गया। पुलिस और प्रशासन की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची और आग बुझाने तथा बचाव कार्य में जुट गईं। दुर्घटना स्थल पर एक बड़ा गड्ढा बन गया है और विमान का मलबा पूरे क्षेत्र में फैला हुआ है।
हादसे के बाद स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। कई ग्रामीण घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए, जिसके कारण पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा। हादसे की वजह का पता लगाने के लिए जांच जारी है। स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारी राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं।
ज्ञात हो कि यह इस साल का तीसरा जगुआर विमान हादसा है। इससे पहले 7 मार्च को हरियाणा के पंचकूला में और 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर के निकट एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
जगुआर एक डबल इंजन वाला, जमीन पर हमला करने वाला लड़ाकू-बमवर्षक विमान है, जो सिंगल और दो सीटों वाले वैरियंट्स में उपलब्ध है।
इन विमानों का भारतीय वायुसेना द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, हालाँकि उनकी पुरानी स्थिति के बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में इनमें कई अपग्रेड्स किए गए हैं।