क्या रक्षा उपकरणों के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करनी होगी?ः राजनाथ सिंह
सारांश
Key Takeaways
- रक्षा उपकरणों के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है।
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- नौसेना इनोवेशन का बड़ा उदाहरण है।
- प्राइवेट सेक्टर को भी रक्षा में भागीदारी की आवश्यकता है।
- भारत को विश्व स्तर पर भरोसेमंद डिफेंस प्लेटफार्म बनाने की जरूरत है।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हमें अपने रक्षा उपकरणों के लिए विदेशों पर निर्भरता को न्यूनतम करना होगा। जब हम कोई बड़ा उपकरण बाहर से खरीदते हैं, तो केवल खरीदारी का खर्च नहीं होता, बल्कि उसके साथ मेंटेनेंस, रिपेयर, और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति का भी दीर्घकालिक आर्थिक दबाव हमारे देश पर पड़ता है। यह बात रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कही। वे नई दिल्ली में भारतीय नौसेना के नेवल इनोवेशन एंड इंडिजेनाइजेशन ऑर्गनाइजेशन के ‘स्वावलंबन 2025’ सेमिनार में बोल रहे थे।
रक्षामंत्री ने कहा कि यही कारण है कि हमें अपनी सप्लाई चेन को पूरी तरह से सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाना होगा। कई बार बाहर से लाए गए उपकरण की वास्तविक कीमत बहुत बढ़ जाती है, लेकिन हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि भविष्य में हर बार पहली पसंद वही उपकरण हों, जो भारतीयता की भावना के साथ भारत में निर्मित हों।
उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि हमारी नौसेना इस 'फ्यूचर रेडी माइंडसेट' का एक बड़ा उदाहरण बनकर उभरी है। जब मैं यहां इनोवेटर्स, स्टार्टअप्स, युवा उद्यमियों और एमएसएमई को देखता हूं, तो मेरा गर्व और भी बढ़ जाता है। आप लोग न केवल इनोवेशन ला रहे हैं, बल्कि आप लोग हौसला भी ला रहे हैं जो भारत के रक्षा क्षेत्र में बदलाव ला रहा है। आप सभी जानते हैं कि आज के समय में रक्षा क्षेत्र में टेक्नोलॉजी कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। दुनिया तेजी से बदल रही है, और हमें प्रोएक्टिव रहना होगा।
उन्होंने कहा कि यदि आज भारत समुद्री शक्ति के रूप में उन्नति कर रहा है, तो इसमें नौसेना के साथ-साथ हमारे इनोवेटर्स का योगदान भी है। कई समाधान, जिन पर दुनिया दशकों से काम कर रही थी, अब वही समाधान हमारे युवा कुछ ही समय में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नौसेना ने जिस तेजी से साझेदारियां बढ़ाई हैं, कांट्रेक्ट दिए हैं, और प्रोटोटाइप स्वीकार किए हैं, वह एक शांत क्रांति की तरह है। आज की दुनिया में मल्टी यूज टेक्नोलॉजी जिस तरह से महत्वपूर्ण बनती जा रही है, उस पर भी हमारे अविष्कारक काम कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे विश्वास है कि भारत डिफेंस इनोवेशन के स्वर्ण युग में प्रवेश कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी के बारे में उन्होंने कहा कि हमारे यहां अक्सर सोच यह रही है कि प्राइवेट सेक्टर मुनाफा कमाता है, लेकिन अब हमें प्रॉफिट प्लस अप्रोच के साथ आगे बढ़ना होगा। इसका मतलब है कि हमें आर्थिक मुनाफे के साथ-साथ राष्ट्रवाद और कर्तव्य बोध को भी ध्यान में रखना होगा।
उन्होंने कहा कि आज हमारा लक्ष्य यही है कि भारत ऐसे डिफेंस प्लेटफार्म बनाए, जो विश्व में भरोसे का प्रतीक बनें।