क्या रक्षामंत्री ने 125 रणनीतिक महत्व की परियोजनाएं राष्ट्र को सौंपी?

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क्या रक्षामंत्री ने 125 रणनीतिक महत्व की परियोजनाएं राष्ट्र को सौंपी?

सारांश

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में श्योक टनल का उद्घाटन किया और 125 रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। ये परियोजनाएं सीमा सुरक्षा और कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। जानिए इन परियोजनाओं के बारे में और कैसे ये देश की रक्षा क्षमता को बढ़ाएंगी।

Key Takeaways

  • 900 मीटर लंबी श्योक टनल का उद्घाटन किया गया है।
  • 125 रणनीतिक परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं।
  • इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 5,000 करोड़ रुपये है।
  • यह परियोजनाएं 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं।
  • बीआरओ ने इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में तेजी लाई है।

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस) लद्दाख में दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर बनाई गई 900 मीटर लंबी श्योक टनल का उद्घाटन किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में श्योक टनल के साथ-साथ सीमा सड़क संगठन की 125 रणनीतिक महत्व की अवसंरचना परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया है।

इन परियोजनाओं में 28 सड़कें, 93 पुल और 04 अन्य सामरिक अवसंरचना परियोजनाएं शामिल हैं। ये परियोजनाएं 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं। 920 मीटर लंबी श्योक टनल को रक्षा मंत्री ने दुनिया के सबसे कठिन इलाकों में निर्मित एक इंजीनियरिंग चमत्कार बताया।

उन्होंने बताया कि यह टनल भारी बर्फबारी, हिमस्खलन और अत्यधिक तापमान वाले क्षेत्र में सुरक्षा, मोबिलिटी और विशेषकर कड़ाके की ठंड के दौरान सैन्य तैनाती क्षमता को कई गुना बढ़ाएगी। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, हमारे सशस्त्र बलों और सिविल प्रशासन के साथ, बॉर्डर एरिया के नागरिकों का जो समन्वय देखने को मिला, वह शानदार था। मैं लद्दाख के नागरिकों को हमारे सशस्त्र बलों का सहयोग देने के लिए आभार प्रकट करता हूं। यह समन्वय ही हमारी पहचान है।"

रक्षामंत्री ने कहा, “अभी कुछ ही महीने पहले हमने देखा, जब पहलगाम के आतंकी हमले का जवाब देते हुए हमारे सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। यह सब हमारी कनेक्टिविटी की वजह से संभव हुआ।”

रक्षामंत्री ने बताया कि लद्दाख के साथ-साथ जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में भी अन्य परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की जा रही हैं। लगभग 5,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरे हुए ये 125 प्रोजेक्ट्स बीआरओ के इतिहास में अब तक का सबसे हाईएस्ट-वैल्यू इनॉगरेशन है।

उन्होंने कहा, “इस वर्ष मई में हमने 50 परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की थीं। आज आपने इस ऐतिहासिक पड़ाव के साथ, मेरी खुशी को कई गुना बढ़ा दिया है। बीआरओ ने सीमावर्ती इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में तेजी प्रदान की है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास रहा है कि लद्दाख समेत बॉर्डर एरिया के साथ हमारा कम्युनिकेशन और कनेक्टिविटी मजबूत हो। हाल ही में लद्दाख में 200 किलोवाट का ग्रीन हाइड्रोजन आधारित पावर प्लांट का उद्घाटन किया गया, जो इस क्षेत्र के लिए लाभकारी होगा।

उन्होंने कहा, "हमारी सेनाएं और बीआरओ के सभी कर्मी देश के लिए काम कर रहे हैं। 2014 तक भारत के पास 97 हजार किलोमीटर तक के नेशनल हाइवे थे, आज यह संख्या बढ़कर 1.5 लाख किलोमीटर हो गई है।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि यह परियोजनाएं केवल बुनियादी ढांचे के विकास का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह भारत के सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन पहलों से न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से विकास होगा बल्कि यह देश की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा।
NationPress
07/12/2025

Frequently Asked Questions

श्योक टनल का क्या महत्व है?
श्योक टनल सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य तैनाती की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी और सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी।
इन परियोजनाओं की कुल लागत कितनी है?
इन 125 परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 5,000 करोड़ रुपये है।
यह परियोजनाएं किन राज्यों में फैली हुई हैं?
यह परियोजनाएं जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में फैली हुई हैं।
बीआरओ का क्या महत्व है?
बीआरओ सीमा सड़क संगठन है, जो बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
क्या इन परियोजनाओं से रोजगार बढ़ेगा?
हाँ, इन परियोजनाओं से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र का विकास होगा।
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