क्या राम मंदिर ध्वजारोहण कार्यक्रम में वनवासी संतों को बुलाया गया है?
सारांश
Key Takeaways
- राम मंदिर ध्वजारोहण 25 नवंबर को होगा।
- प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति होगी।
- वनवासी संतों को विशेष आमंत्रण दिया गया है।
- कार्यक्रम दोपहर 12 बजे शुरू होगा और 2 बजे समाप्त होगा।
- कुल 6000 लोगों को आमंत्रित किया गया है।
अयोध्या, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी है कि मंगलवार, 25 नवंबर को अयोध्या में भगवान राम के विवाह का पारंपरिक पवित्र दिन मनाया जाएगा। इस दिन, राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे, साथ ही राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी उपस्थिति होगी।
चंपत राय ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर में लगभग 12 बजे होगी, और इसके बाद ध्वजारोहण किया जाएगा। कार्यक्रम दोपहर लगभग 2 बजे समाप्त होगा।
इस बार कार्यक्रम में आमंत्रित मेहमानों की संख्या सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश के बंधुओं तक सीमित रखी गई है। कुल छह हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है, जिनमें से तीन हजार लोग अयोध्या जनपद से हैं। अयोध्या के सभी संत इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों के संत भी शामिल हैं। लगभग एक हजार संत-महात्मा की इस समारोह में उपस्थिति की उम्मीद है।
महासचिव चंपत राय ने बताया कि विशेष रूप से वनवासी क्षेत्रों में रहने वाले संत समाज को बुलाया गया है। हमारी दृष्टि इस बार उन समुदायों पर है, जो दूरदराज के जंगलों, पर्वतों और समुद्र किनारे के गांवों में निवास करते हैं। गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।
चंपत राय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख व्यक्तियों के अयोध्या जिले से दोपहर लगभग 2 बजे या उससे पहले प्रस्थान करने की संभावना है। प्रशासन इस उत्सव और इसके व्यस्त कार्यक्रम के महत्व से पूरी तरह अवगत है। जनता को कोई भी असुविधा नहीं होगी। यह हमारी समारोह संबंधी तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।