क्या राष्ट्रपति ने आईआईटी-आईएसएम धनबाद के दीक्षांत समारोह में युवाओं से 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य में सहभागी बनने का आह्वान किया?

सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रपति ने युवाओं से 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सहयोग की अपील की।
- प्रकाशित डिग्रियों की संख्या: 1880
- 94 छात्रों को उत्कृष्टता के लिए मेडल से सम्मानित किया गया।
- शिक्षा का उद्देश्य नैतिकता और करुणा का विकास होना चाहिए।
- संस्थान का 100 वर्षों का गौरवशाली इतिहास है।
धनबाद, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को धनबाद में स्थित आईआईटी-आईएसएम के 45वें दीक्षांत समारोह में युवा छात्रों से अपील की कि वे 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में एक रचनात्मक भूमिका निभाएं और अपने ज्ञान, नैतिकता और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र की आकांक्षाओं को साकार करें।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा केवल तकनीकी कौशल तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य संवेदनशील और नैतिक व्यक्तित्व का निर्माण करना भी होना चाहिए। दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 1880 छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में डिग्री प्रदान की गई, जबकि 94 विद्यार्थियों को उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन के लिए गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति ने डिग्री प्राप्त छात्रों से कहा कि 100 वर्षों के गौरवपूर्ण इतिहास वाले आईआईटी-आईएसएम से शिक्षा प्राप्त करना एक गर्व का विषय है। यह दीक्षांत केवल शिक्षा की पूर्णता नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है, जो नौकरी, उच्च शिक्षा या नवाचार की दिशा में हो सकती है। उन्होंने शिक्षा में मानवीय मूल्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "आप भविष्य में जो भी करें, उसमें बुद्धिमत्ता के साथ नैतिकता और करुणा भी होनी चाहिए। आपका ज्ञान केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन न बने, बल्कि वह समाज और राष्ट्र के निर्माण का माध्यम बने। यही शिक्षा का सार है। अपने ज्ञान से जटिल समस्याओं का रचनात्मक समाधान निकालें और ग्रीन इंडिया और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण में योगदान करें।”
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने संस्थान द्वारा विकसित शैक्षणिक और नवाचार इको-सिस्टम की सराहना की, जिसका उद्देश्य लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं से शिक्षा को जोड़ना है। उन्होंने कहा कि 100 वर्षों के गौरवशाली इतिहास के साथ यह संस्थान अब शिक्षा और अनुसंधान का एक अग्रणी केंद्र बन चुका है। उन्होंने जनजातीय समुदाय के लिए चलाए जा रहे ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केंद्र कौशल विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से न केवल जनजातीय युवाओं को, बल्कि वंचित महिलाओं को भी सशक्त बना रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास सामाजिक समावेशिता और समग्र विकास की दिशा में सराहनीय हैं। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और राज्य के नगर विकास एवं उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य सोनू विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संस्थान के चेयरमैन प्रेम बराट ने 1926 से अब तक संस्थान की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। आईआईटी आईएसएम के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने दीक्षांत समारोह में संस्थान का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया।