क्या आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत किया?
सारांश
Key Takeaways
- आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत की घोषणा की।
- जीएसटी में कटौती और कृषि की मजबूत संभावनाएं मुख्य कारण हैं।
- आर्थिक गतिविधियों में सुधार से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
मुंबई, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान पूर्व के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई के गवर्नर ने बताया कि जीएसटी दरों में कमी, कृषि क्षेत्र की अच्छी संभावनाएं, कम मुद्रास्फीति और कंपनियों एवं बैंकों की मज़बूत बैलेंस शीट के कारण आउटलुक में सुधार हो रहा है।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की मजबूत जीडीपी वृद्धि और महंगाई में गिरावट के कारण देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अद्वितीय 'गोल्डीलॉक्स पीरियड' बना हुआ है।
उन्होंने आगे कहा, "कृषि क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं, जीएसटी की पुनर्संरचना का प्रभाव, कम मुद्रास्फीति, कॉर्पोरेट और वित्तीय संस्थानों की मजबूत बैलेंस शीट तथा अनुकूल मौद्रिक एवं वित्तीय स्थितियां आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देती रहेंगी। निरंतर सुधार विकास को बढ़ावा देता रहेगा।"
आरबीआई गवर्नर ने अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर कहा, "सेवा निर्यात स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि वस्तु निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आउटलुक को लेकर बाहरी अनिश्चितताएं नकारात्मक जोखिम पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा, वर्तमान व्यापार और निवेश वार्ताओं के समापन से वृद्धि की संभावनाएं कायम हैं।"
इन सभी तत्वों को देखते हुए, आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने इस वर्ष की दिसंबर तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत, अगले वर्ष की मार्च तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत, जून तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत और सितंबर तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
उन्होंने बताया कि वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच देश की वास्तविक जीडीपी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ छह तिमाहियों में सबसे अधिक रही, जो मजबूत घरेलू मांग के कारण संभव हुआ। सप्लाई साइड पर, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। देश की आर्थिक गतिविधियों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इनकम टैक्स, जीएसटी की पुनर्संरचना, कच्चे तेल की कम कीमतें, सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि और अनुकूल मुद्रास्फीति से लाभ मिला है।
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि उच्च-आवृत्ति संकेतकों ने तीसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियों के स्थिर रहने के संकेत दिए हैं, हालांकि, कुछ प्रमुख संकेतकों में कमजोरी के संकेत भी मिले हैं। इस वर्ष अक्टूबर और नवंबर में जीएसटी की पुनर्संरचना और त्योहारों से जुड़े खर्च ने देश की घरेलू मांग को समर्थन दिया। इसके अलावा, ग्रामीण मांग मजबूत रही है और शहरी मांग में लगातार सुधार हो रहा है। नॉन-फूड बैंक क्रेडिट में विस्तार और उच्च क्षमता उपयोगीकरण से निजी निवेश बढ़ रहा है, जिससे निवेश गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं।