क्या आरबीआई ने नियरबाय इंडिया पर फेमा उल्लंघन के लिए 4.28 लाख रुपए का कंपाउंडिंग आदेश जारी किया?
Key Takeaways
- आरबीआई ने नियरबाय इंडिया पर फेमा उल्लंघन के लिए आदेश जारी किया।
- कंपनी को 4,28,297 रुपए जमा करने का निर्देश दिया गया।
- यह आदेश 17 अक्टूबर को पारित किया गया।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, अर्थात् फेमा (एफईएमए), 1999 के तहत नियमों के उल्लंघन के मामले में नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एक कम्पाउंडिंग आदेश जारी किया है। यह आदेश 17 अक्टूबर को धारा 15 के तहत पारित किया गया, जिसके बाद कंपनी के खिलाफ चल रही कार्रवाई औपचारिक रूप से समाप्त हो गई है।
यह निर्णय निदेशालय प्रवर्तन (ईडी) द्वारा जारी नो ऑब्जेक्शन के बाद लिया गया, जिससे स्पष्ट हो गया कि मामले में आगे कोई आपराधिक या दीवानी कार्रवाई अब शेष नहीं है।
जानकारी के अनुसार, इस मामले की शुरुवात तब हुई जब ईडी को विश्वसनीय इनपुट मिले और इसके आधार पर फेमा के प्रावधानों के तहत जांच प्रारंभ की गई। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद, ईडी ने 3 दिसंबर 2024 को फेमा की धारा 16 के अंतर्गत अधिनिर्णायक प्राधिकारी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की।
शिकायत में फेमा के दो प्रमुख उल्लंघनों का उल्लेख किया गया था। पहला, कंपनी द्वारा विदेशी निवेश से संबंधित इनवर्ड पेमेंट की रिपोर्टिंग में देरी, जो फेमा 20/2000-आरबी के शेड्यूल 1 की धारा 9(1)(ए) का उल्लंघन था। यह देरी कुल 35.82 करोड़ रुपए की राशि को प्रभावित करती थी।
दूसरा उल्लंघन यह है कि कंपनी ने विदेशी निवेश के बदले शेयर जारी करने के बाद फॉर्म एफसीजीपीआर दाखिल करने में देरी की, जो कि इसी शेड्यूल की धारा 9(1)(बी) का उल्लंघन था और यह देरी 73.01 करोड़ रुपए के निवेश से संबंधित थी।
इन आरोपों के आधार पर अधिनिर्णायक प्राधिकारी ने 27 फरवरी को कंपनी और उसके उन निदेशकों/अधिकारियों को नोटिस जारी किया जो उस अवधि में कंपनी के कामकाज के लिए जिम्मेदार थे और इन कथित उल्लंघनों से जुड़े थे। इसके बाद नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने आरबीआई के समक्ष फेमा की धारा 15 के तहत कम्पाउंडिंग हेतु आवेदन प्रस्तुत किया।
आरबीआई ने इस आवेदन को ईडी को भेजा और जांच एजेंसी ने केस के तथ्यों एवं कानून की मंशा के अनुरूप नो ऑब्जेक्शन जारी कर दिया।
ईडी की सहमति के आधार पर आरबीआई ने 17 अक्टूबर 2025 को कम्पाउंडिंग आदेश पारित किया, जिसके तहत कंपनी को 4,28,297 रुपए एकमुश्त राशि के रूप में जमा कराने का निर्देश दिया गया। इस भुगतान के साथ ही फेमा के तहत कंपनी, उसके पदाधिकारी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ चल रही अधिनिर्णयन प्रक्रिया समाप्त हो गई।