क्या आगामी आरबीआई एमपीसी में 5.5 प्रतिशत पर रेपो रेट स्थिर रहेगा, कटौती की संभावना कम है?

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क्या आगामी आरबीआई एमपीसी में 5.5 प्रतिशत पर रेपो रेट स्थिर रहेगा, कटौती की संभावना कम है?

सारांश

क्या आगामी आरबीआई एमपीसी में रेपो रेट में कोई बदलाव होगा? जानें विशेषज्ञों की राय और भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान हालात के बारे में।

Key Takeaways

  • रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की संभावना है।
  • ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है।
  • वैश्विक कारकों का ध्यान रखना आवश्यक है।
  • सरकारी व्यय में कमी का प्रभाव हो सकता है।

मुंबई, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आगामी आरबीआई एमपीसी में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने की संभावना है, और ब्याज दरों में कटौती की संभावना काफी कम है। यह जानकारी विशेषज्ञों द्वारा रविवार को साझा की गई।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक आयोजित की जाएगी। बैठक के अंतिम दिन, आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा एमपीसी के निर्णयों की घोषणा करेंगे।

विशेषज्ञों ने कहा कि यह बैठक वैश्विक टैरिफ के बढ़ने और एडवांस अर्थव्यवस्थाओं की राजकोषीय स्थिति के बारे में चिंता के माहौल में हो रही है।

उन्होंने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत लचीलापन प्रदर्शित किया है और 2025-26 की पहली तिमाही में पांच तिमाहियों की उच्चतम वृद्धि हासिल की है, जो मुख्यतः घरेलू खपत और अन्य स्थानीय कारकों से प्रेरित है।"

विशेषज्ञों ने आगे कहा कि वैश्विक वृद्धि दर को लेकर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, लेकिन हालिया घरेलू आंकड़े सीमित नकारात्मक जोखिम दर्शाते हैं।

हालांकि, उन्होंने सतर्कता बरतने की सलाह दी है, क्योंकि कम कर संग्रह से सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी आ सकती है, जिससे उपभोग को बढ़ावा देने वाली जीएसटी दरों में कटौती के सकारात्मक प्रभाव को कुछ हद तक सीमित किया जा सकता है।

अगस्त की एमपीसी में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। इस कारण से, आगामी एमपीसी पर बाजार की नजरें टिकी हुई हैं।

इस वर्ष की शुरुआत से अब तक, आरबीआई ने रेपो रेट में एक प्रतिशत की कटौती की है, जिसमें फरवरी में 0.25 प्रतिशत, अप्रैल में 0.25 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की कटौती शामिल है।

विश्लेषकों को उम्मीद है कि एमपीसी अक्टूबर में यथास्थिति बनाए रखेगी, जिससे सीआरआर में कटौती और आगे के राजकोषीय उपायों का प्रभाव देखने का समय मिलेगा।

इस निर्णय में वैश्विक कारकों पर भी विचार किया जाएगा, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दरों में कटौती और चल रहे व्यापार तनाव शामिल हैं, जो ब्याज दरों के अंतर और भारतीय ऋण की विदेशी मांग को प्रभावित कर सकते हैं।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्णयों का प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा होता है। इस बार के एमपीसी में, हमें विभिन्न वैश्विक कारकों का ध्यान रखना होगा, जो हमारे वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई एमपीसी का क्या महत्व है?
आरबीआई एमपीसी का उद्देश्य मौद्रिक नीति को निर्धारित करना है, जो अर्थव्यवस्था पर ब्याज दरों के प्रभाव को नियंत्रित करता है।
रेपो रेट स्थिर रहने से क्या प्रभाव पड़ेगा?
रेपो रेट स्थिर रहने से बैंकों की उधारी दरें कम रहेंगी, जिससे विकास में मदद मिलेगी।