क्या चुनाव आयोग पर रॉबर्ट वाड्रा का बयान एनडीए नेताओं को चिंतित कर रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- रॉबर्ट वाड्रा का बयान चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
- एनडीए नेताओं ने कांग्रेस की हार को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
- महागठबंधन की स्थिति पर यह बयान एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
- राजनीतिक हलचल में वाड्रा का बयान एक नया आयाम जोड़ता है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बंपर जीत के बाद महागठबंधन में सन्नाटा छा गया है। इस दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति, कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा के एक बयान ने सियासी हलचल को बढ़ा दिया है। वाड्रा ने कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है और यदि बिहार के चुनाव ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से कराए जाएं, तो परिणाम बदल सकते हैं। इस बयान पर एनडीए नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
वाड्रा के बयान पर भाजपा नेता फतेह जंग सिंह बाजवा ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि कांग्रेस ने हार के बाद यह नहीं समझा कि वे क्यों हारे। उन्हें यह विश्लेषण करना चाहिए कि लोगों ने कांग्रेस या महागठबंधन का समर्थन क्यों नहीं किया। रॉबर्ट वाड्रा किसी राजनीतिक दल के नेता नहीं हैं और ऐसे बयान देने पर उन पर मानहानि का मुकदमा होना चाहिए।
भाजपा के रामकृपाल यादव ने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा कौन हैं? क्या कोई उन्हें जानता है? इन्हीं लोगों ने इस देश को बर्बाद किया है। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार ने मिलकर देश और बिहार को आगे बढ़ाने का काम किया है। बिहार की जनता कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी।
जदयू नेता राजीव रंजन ने वाड्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि केवल नेहरू-गांधी परिवार से संबंध होने के कारण उन्हें हर बात पर बोलने का अधिकार नहीं है। लोग जानते हैं कि वह रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े हैं और पहले से ही ईडी की रडार पर हैं। उन्हें पहले खुद को बचाना चाहिए।
जदयू नेता सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि कांग्रेस की आदत है कि जब भी वे हारते हैं, तो वे ईवीएम या वोट चोरी के बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। रॉबर्ट वाड्रा को चाहिए कि राहुल गांधी को उत्तर भारत में चुनाव लड़वाने की कोशिश करें, तब उन्हें समझ आएगा कि राहुल गांधी का असली जनाधार कितना है।