क्या बेटियों को मायके में रहने के लिए समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए? - रोहिणी आचार्य
सारांश
Key Takeaways
- बेटियों के लिए मायके में रहने का समय
- किडनी दान की अहमियत
- परिवार में विवाद
- समाज में जिम्मेदारी का भाव
- सोशल मीडिया का प्रभाव
पटना, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की कड़ी हार के बाद से पार्टी सुप्रीमो लालू यादव के परिवार में विवाद बढ़ता जा रहा है। उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार और पार्टी दोनों से नाता तोड़ लिया है। इसके बाद वह लालू परिवार के साथ-साथ अन्य लोगों पर हमलावर हो गई हैं। रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नया वीडियो साझा किया है।
इस वीडियो में रोहिणी आचार्य किसी पत्रकार के साथ 5 मिनट 44 सेकंड तक फोन पर बातचीत करती हुई नजर आ रही हैं। हालांकि, उनके गले में खराश है। बातचीत के दौरान रोहिणी काफी गुस्से में दिखाई दीं। उन्होंने पत्रकार से पूछा, "बेटियों को कितने घंटे और कितने दिन मायके में रहना चाहिए, इसका हिसाब बताइए।"
उन्होंने कहा, "जो लोग मुझे गाली देते नहीं थकते, एक बोतल खून देने के नाम पर जिनका खून सूख जाता है, वे किडनी देने पर उपदेश देते हैं?"
रोहिणी आचार्य ने वीडियो साझा करते हुए लिखा, "जो लोग लालू जी के नाम पर कुछ करना चाहते हैं, उन्हें झूठी हमदर्दी जताना बंद करके हॉस्पिटल में अपनी अंतिम सांसें गिन रहे उन लाखों, करोड़ों गरीब लोगों को किडनी देने के लिए आगे आना चाहिए।" उन्होंने कहा कि पिता को किडनी देने वाली शादीशुदा बेटी को गलत बताने वाले लोग उस बेटी से खुले मंच पर खुली बहस करें।"
उन्होंने कहा, "जरूरतमंदों को किडनी देने के महादान की शुरुआत पहले वो करें जो बेटी की किडनी को गंदा बताते हैं, फिर हरियाणवी महापुरुष करें, चाटुकार पत्रकार करें और ट्रोलर्स करें जो मुझे गाली देते नहीं थकते।"
गौरतलब है कि रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी दान की थी।