क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष, दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ अहम बैठक हो रही है?

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क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष, दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ अहम बैठक हो रही है?

सारांश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस वर्ष अपने शताब्दी वर्ष का जश्न मना रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य सामजिक सौहार्द और संवाद को बढ़ावा देना है। इस बैठक से भविष्य में और संवादों की नींव रखने की उम्मीद है।

Key Takeaways

  • आरएसएस का शताब्दी वर्ष भारत के हर हिस्से में अपनी विचारधारा फैलाने का प्रयास है।
  • बैठक का उद्देश्य सामाजिक सौहार्द और विभिन्न धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देना है।
  • संघ की योजनाओं में सामाजिक सेवा, शिक्षा और राष्ट्रीय एकता शामिल हैं।

नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस वर्ष अपनी स्थापना के १०० साल पूरे होने का उत्सव मना रहा है। इस अवसर पर संघ ‘शताब्दी वर्ष’ का आयोजन कर रहा है, जिसके तहत वह भारत के हर गांव, हर बस्ती और हर घर तक अपनी पहुंच बढ़ाने की योजना बना रहा है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर गुरुवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली के हरियाणा भवन में मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ एक बैठक में हिस्सा लेंगे। इस बैठक में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी, सह कार्यवाहक दत्तात्रेय होसबाले, कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार भी उपस्थित रहेंगे। इस बैठक में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख उमर इलियासी समेत कई प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु शामिल होंगे। इस बैठक का उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा देना और सामाजिक सौहार्द को मजबूत करना है।

आरएसएस का शताब्दी वर्ष का आयोजन संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। १९२५ में स्थापित इस संगठन ने पिछले एक सदी में सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर कार्य किया है। शताब्दी वर्ष के दौरान संघ ने देश के हर हिस्से में अपनी विचारधारा और सेवा कार्यों को फैलाने का लक्ष्य रखा है। इस बैठक को भी इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है, जहां विभिन्न धर्मों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

इस आयोजन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह बैठक भविष्य में और ऐसे संवादों की नींव रख सकती है। शताब्दी वर्ष के तहत संघ की योजनाओं में सामाजिक सेवा, शिक्षा और राष्ट्रीय एकता से जुड़े कार्यक्रम शामिल हैं।

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना २७ सितंबर १९२५ को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। हिंदू समाज को संगठित और सशक्त बनाने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत हुई। डॉ. हेडगेवार ने देश में राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक जागरण की आवश्यकता महसूस की और स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज सेवा, शिक्षा और चरित्र निर्माण पर जोर दिया। आरएसएस की विचारधारा हिंदुत्व पर आधारित है, जो भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देती है।

Point of View

यह बैठक विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देती है। संघ का शताब्दी वर्ष न केवल संगठन के लिए, बल्कि देश के लिए भी सामाजिक सौहार्द और एकता का प्रतीक है। हमें उम्मीद है कि यह बैठक आगे के संवादों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस का शताब्दी वर्ष कब मनाया जा रहा है?
आरएसएस का शताब्दी वर्ष इस वर्ष मनाया जा रहा है, जो 1925 में इसकी स्थापना के 100 साल पूरे होने का प्रतीक है।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा देना और सामाजिक सौहार्द को मजबूत करना है।
कौन-कौन से धर्मगुरु बैठक में शामिल होंगे?
बैठक में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी और ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख सहित कई प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु शामिल होंगे।