क्या आरएसएस पर प्रतिबंध लगाना असंभव है? यह राष्ट्र को समर्पित एक संस्था है: तुहिन सिन्हा

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क्या आरएसएस पर प्रतिबंध लगाना असंभव है? यह राष्ट्र को समर्पित एक संस्था है: तुहिन सिन्हा

सारांश

आरएसएस पर मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर भाजपा प्रवक्ता तुहिन ए. सिन्हा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जानें संघ की भूमिका और इसके योगदान पर क्या कहते हैं भाजपा नेता।

Key Takeaways

  • आरएसएस का राष्ट्र के प्रति समर्पण अद्वितीय है।
  • संघ ने संकट के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच आवश्यक है।
  • आरएसएस का योगदान समाज में सराहनीय है।
  • महात्मा गांधी और अंबेडकर ने संघ को सराहा था।

नई दिल्ली, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आरएसएस के संबंध में दिए गए बयान पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन ए. सिन्हा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे अनुभवी नेता भी अब राहुल गांधी की तरह बयानबाजी करने लगे हैं, जो अत्यंत खेदजनक है।

भाजपा नेता ने कहा कि राहुल गांधी अक्सर आरएसएस और वी. सारवरकर के खिलाफ बयान देते हैं, जबकि खड़गे जैसे वरिष्ठ नेताओं को ऐसे बयानों से दूर रहना चाहिए। आरएसएस पर प्रतिबंध संभव नहीं है, क्योंकि यह संघ राष्ट्र के प्रति समर्पित एक संस्था है।

उन्होंने कहा कि 1962 के युद्ध में भी संघ की भूमिका महत्वपूर्ण थी। उस समय संघ के सदस्यों ने हमारी सेना को सहायता प्रदान की थी। कोविड महामारी के दौरान भी आरएसएस ने पीड़ितों की सहायता की, जो अद्वितीय था।

सिन्हा ने सवाल उठाया कि ये लोग आरएसएस को बदनाम क्यों करना चाहते हैं, यह समझ से परे है। 1939 में सरदार पटेल पर मुस्लिम लीग द्वारा किए गए हमलों के बावजूद, उन्होंने अब तक मुस्लिम लीग पर कुछ नहीं कहा। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने भी खड़गे के बयान पर प्रतिक्रिया दी।

भाजपा सांसद ने कहा कि आरएसएस ने अपने सौ साल पूरे कर लिए हैं। पूरा देश जानता है कि संघ ने इस सदी में क्या सेवाएं दी हैं। चाहे कोविड-19 हो, भूकंप हो या बाढ़, सबसे पहले मदद करने वाले स्वयंसेवक हमेशा संघ से होते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी और डॉ. बीआर अंबेडकर ने समानता के लिए संघ की सार्वजनिक रूप से सराहना की थी। यहां तक कि भारत-चीन युद्ध के बाद 1963 के स्वतंत्रता दिवस परेड के दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस स्वयंसेवकों को आमंत्रित किया था।

जहां तक महात्मा गांधी की हत्या का सवाल है, कपूर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि संघ की इसमें कोई संलिप्तता नहीं थी। मल्लिकार्जुन खड़गे ने जिस मामले को उठाया है, उसकी जांच कपूर आयोग ने की थी और यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक भी गया था, जिसका फैसला सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।

Point of View

हमें यह समझना होगा कि आरएसएस की भूमिका देश के लिए महत्वपूर्ण रही है। इतिहास हमें यह सिखाता है कि संगठन ने कई संकटों में देश की मदद की है। ऐसे में बिना ठोस सबूत के आरएसएस पर आरोप लगाना उचित नहीं है।
NationPress
01/11/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस की स्थापना कब हुई थी?
आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी।
आरएसएस का मुख्य उद्देश्य क्या है?
आरएसएस का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना है।
आरएसएस ने कोविड के दौरान क्या योगदान दिया?
आरएसएस ने कोविड के दौरान पीड़ितों की सहायता के लिए कई राहत कार्य किए।
क्या आरएसएस पर प्रतिबंध संभव है?
भाजपा प्रवक्ता तुहिन ए. सिन्हा के अनुसार, आरएसएस पर प्रतिबंध लगाना असंभव है।
महात्मा गांधी ने आरएसएस के बारे में क्या कहा था?
महात्मा गांधी ने आरएसएस की सार्वजनिक रूप से सराहना की थी।