क्या साहेबगंज विधानसभा सीट पर भाजपा का खाता खुलेगा?

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क्या साहेबगंज विधानसभा सीट पर भाजपा का खाता खुलेगा?

सारांश

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की साहेबगंज विधानसभा सीट पर चुनावी इतिहास में कई राजनीतिक बदलाव देखने को मिले हैं। क्या भाजपा इस बार इस सीट पर जीत हासिल कर पाएगी? जानें इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य के बारे में।

Key Takeaways

  • साहेबगंज विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास रोचक है।
  • यह सीट कांग्रेस के दबदबे से शुरू हुई थी।
  • भाजपा के राजू कुमार सिंह फिर से चुनाव लड़ रहे हैं।
  • राजद और जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
  • मतदाता वर्ग का असर चुनाव परिणामों पर महत्वपूर्ण होगा।

पटना, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की साहेबगंज विधानसभा सीट को राज्य की प्रमुख राजनीतिक सीटों में से एक माना जाता है। बाया नदी के किनारे स्थित यह क्षेत्र उत्तर में पूर्वी चंपारण जिले के मेहसी और कल्याणपुर तथा दक्षिण में गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर से घिरा हुआ है।

यह सीट वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें साहेबगंज प्रखंड के साथ-साथ पारू ब्लॉक की 20 ग्राम पंचायतें शामिल हैं, जिनमें अनादपुर खरौनी, बहदीनपुर, बैजलपुर, चक्की सुहागपुर, चांदकेवारी, डेवरिया (पूर्व एवं पश्चिम), धरफरी, फतेहाबाद, ग्यासपुर, जफरपुर, जयमल डुमरी, कटारू, खुटहीं, मोहब्बतपुर, मोहजम्मा, नेकनामपुर, पांडेह, उस्ती और जालंधर बैठा टोला बिशुनपुर सरैया शामिल हैं।

साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी। पहली बार 1952 में चुनाव हुए, लेकिन 1957 में यह क्षेत्र चुनावी नक्शे से हटा दिया गया। बाद में 1962 में इसे फिर से बहाल किया गया। तब से अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें एक उपचुनाव (1982) भी शामिल है।

शुरुआती दशकों में यहां कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा, जिसने कुल 7 बार जीत दर्ज की। कांग्रेस की अंतिम जीत 1985 में हुई। इसके बाद जनता दल, जदयू और राजद ने दो-दो बार यह सीट जीती। वहीं, भाकपा, लोक जनशक्ति पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार जीत हासिल की।

दिलचस्प यह है कि साहेबगंज की जनता ने पिछले दो दशकों में बार-बार बदलाव को तवज्जो दी है। 2005 और 2010 के चुनावों में जदयू के राजू कुमार सिंह विजयी रहे। 2015 में जनता ने राजद के रामविचार राय को मौका दिया। 2020 में वीआईपी उम्मीदवार के रूप में राजू कुमार सिंह ने फिर से जीत हासिल की, जिन्होंने राजद के रामविचार राय को हराया।

बाद में राजू कुमार सिंह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा से राजू कुमार सिंह फिर से चुनाव मैदान में हैं। राजद ने पृथ्वी नाथ राय को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, जन सुराज पार्टी ने ठाकुर हरि किशोर सिंह को टिकट दिया है।

इस क्षेत्र में राजपूत, यादव, मुस्लिम और भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, जो चुनाव परिणामों पर सीधा असर डालते हैं। इसके अलावा वैश्य, निषाद और अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के मतदाता भी कई बार निर्णायक साबित हुए हैं।

Point of View

NationPress
28/10/2025

Frequently Asked Questions

साहेबगंज विधानसभा सीट का इतिहास क्या है?
साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यहां अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं।
इस बार चुनाव में प्रमुख उम्मीदवार कौन हैं?
भाजपा से राजू कुमार सिंह, राजद से पृथ्वी नाथ राय और जन सुराज पार्टी से ठाकुर हरि किशोर सिंह प्रमुख उम्मीदवार हैं।
साहेबगंज क्षेत्र के मतदाता कौन हैं?
यहां राजपूत, यादव, मुस्लिम और भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है।
इस सीट का राजनीतिक महत्व क्या है?
साहेबगंज विधानसभा सीट बिहार की प्रमुख राजनीतिक सीटों में से एक मानी जाती है।
अतीत में इस सीट पर कौन-कौन सी पार्टियों ने जीत दर्ज की है?
कांग्रेस, जनता दल, जदयू, राजद, भाकपा, और वीआईपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।