क्या 1500 करोड़ की धोखाधड़ी में सैयद जियाजुर रहमान की भूमिका है? 7 दिन की ईडी हिरासत में

सारांश
Key Takeaways
- सैयद जियाजुर रहमान की गिरफ्तारी ने एक बड़े धोखाधड़ी के मामले को उजागर किया।
- ईडी ने निवेशकों से 1500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया।
- धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।
- आरोपी ने फर्जी फर्मों के माध्यम से लोगों को धोखा दिया।
- सख्त कार्रवाई के लिए ईडी ने कई ठिकानों पर छापेमारी की।
कोलकाता, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। धोखाधड़ी के मामले में पकड़े गए एलएफएस ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सैयद जियाजुर रहमान को 7 दिन की ईडी कस्टडी में भेजा गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कोलकाता टीम ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए)-2002 के तहत 5 जुलाई को सैयद जियाजुर रहमान को गिरफ्तार किया था।
कोलकाता की अदालत में प्रोडक्शन वारंट प्रस्तुत किया गया। गिरफ्तारी के बाद, ईडी ने आरोपी सैयद जियाजुर रहमान को कोलकाता सिटी सेशंस कोर्ट में पेश किया, जहां अदालत ने उन्हें 14 जुलाई तक ईडी की हिरासत में रखने का आदेश दिया।
ईडी के अनुसार, सैयद जियाजुर रहमान एलएफएस ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से धोखाधड़ी की योजना बनाने वाला मुख्य आरोपी है। इस फर्म ने निवेशकों को 2 से 3 प्रतिशत के निश्चित रिटर्न का झांसा देकर उनकी मेहनत की कमाई हासिल की।
मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 22 मई को कई ठिकानों पर छापेमारी की। फर्म के निदेशक और भागीदारों से जुड़े स्थानों पर ईडी ने लंबी छानबीन की। इस दौरान कई बैंक खातों को फ्रीज किया गया।
जांच के दौरान, ईडी को कई चल और अचल संपत्तियों का पता चला, जिसके बाद दो आरोपियों मोहम्मद अनारुल इस्लाम और दिलीप कुमार मैती को भी गिरफ्तार किया गया।
यह मामला जनता से धोखे से निवेश जुटाने का है, जहां आरोपियों ने एलएफएस ब्रोकिंग फर्म के नाम पर लोगों को सेबी
ईडी की जांच में अब तक पता चला है कि आरोपियों ने लगभग 1500 करोड़ की राशि जुटाई है।