क्या समुद्री खतरे तकनीकी व बहुआयामी हो गए हैं? एआई व साइबर डिफेंस को शामिल करना जरूरी: रक्षा मंत्री

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क्या समुद्री खतरे तकनीकी व बहुआयामी हो गए हैं? एआई व साइबर डिफेंस को शामिल करना जरूरी: रक्षा मंत्री

सारांश

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में समुद्री खतरों के बढ़ते तकनीकी स्वरूप पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अब पारंपरिक तरीकों से काम नहीं चलेगा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर डिफेंस को शामिल करना आवश्यक है। भारतीय तटरक्षक बल की भूमिका और भविष्य की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया।

Key Takeaways

  • समुद्री खतरे अब तकनीकी और बहुआयामी हो गए हैं।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर डिफेंस की आवश्यकता है।
  • भारतीय तटरक्षक बल की महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • सुरक्षा को मजबूत करने के लिए स्वदेशी साधनों का उपयोग।
  • महिला सशक्तिकरण में तटरक्षक बल की उपलब्धियाँ।

नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेतावनी दी है कि समुद्री खतरे अब तकनीकी और बहुआयामी हो गए हैं। जीपीएस स्पूफिंग, रिमोट कंट्रोल बोट, एन्क्रिप्टेड संचार, ड्रोन और डार्क वेब के माध्यम से आपराधिक गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक तरीकों से अब काम नहीं चलेगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ड्रोन आधारित निगरानी, साइबर डिफेंस और ऑटोमेटेड सिस्टम्स को तुरंत शामिल करना होगा। वे सोमवार को नई दिल्ली में भारतीय तटरक्षक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। समुद्री खतरों के संदर्भ में चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने तकनीकी चुनौतियों और भविष्य की तैयारी पर बात की। उन्होंने साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर को मौजूदा वास्तविक खतरा बताते हुए भारतीय तटरक्षक बल को अपने प्रशिक्षण और उपकरणों को लगातार आधुनिक बनाने पर जोर दिया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि बंदरगाह, शिपिंग लेन और ऊर्जा अवसंरचना भारत की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं। समुद्री व्यापार में, भौतिक हो या साइबर, किसी भी प्रकार की बाधा का सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ता है। इसलिए आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को एक ही नजरिए से देखने की आवश्यकता है। नई दिल्ली स्थित तटरक्षक मुख्यालय में 29 सितंबर को उन्होंने 42वीं भारतीय तटरक्षक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में तटरक्षक के वरिष्ठ अधिकारी रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर मंथन कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय तटरक्षक आज राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम स्तंभ है। यह बल अपनी स्थापना के समय सीमित संसाधनों से शुरू होकर आज 152 जहाजों और 78 विमानों के साथ एक मजबूत संगठन बन चुका है। उन्होंने बताया कि तटरक्षक बल ने अब तक 1,638 विदेशी पोतों और 13,775 विदेशी मछुआरों को अवैध गतिविधियों में पकड़ा है तथा 6,430 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किए हैं। जब्त किए गए इन मादक पदार्थों का मूल्य 37,833 करोड़ रुपए है। केवल इस वर्ष जुलाई तक 76 खोज एवं बचाव अभियानों में 74 लोगों की जान बचाई गई है। स्थापना से अब तक तटरक्षक बल 14,500 से अधिक लोगों का जीवन सुरक्षित कर चुका है।

राजनाथ सिंह ने तटरक्षक की अनूठी भूमिका रेखांकित करते हुए कहा कि यह बल बाहरी और आंतरिक सुरक्षा दोनों के संगम पर कार्य करता है। सशस्त्र बल जहां बाहरी खतरों से देश की रक्षा करते हैं और अन्य एजेंसियां आंतरिक सुरक्षा देखती हैं, वहीं तटरक्षक दोनों मोर्चों पर सक्रिय है। अवैध मछली पकड़ना, ड्रग्स व हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी, प्रदूषण और समुद्री अपराधों पर लगाम कसने में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री ने तटरक्षक की मानवीय संवेदनशीलता की सराहना करते हुए कहा कि चक्रवात, तेल रिसाव, औद्योगिक दुर्घटनाओं या विदेशी जहाजों की मुसीबत में तटरक्षक बल ने हमेशा तत्परता से प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा, “दुनिया भारत को ऐसे संकटों में हमारी प्रतिक्रिया से आंकती है और तटरक्षक बल ने हर बार देश का मान बढ़ाया है।” उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में तटरक्षक बल की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब महिलाएं केवल सहयोगी भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पायलट, ऑब्जर्वर, हवरक्राफ्ट ऑपरेटर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, लॉजिस्टिक्स और विधि अधिकारी के रूप में अग्रिम मोर्चे पर सेवा दे रही हैं। यह बदलाव “समावेशी भागीदारी की दृष्टि” को दर्शाता है। रक्षा मंत्री ने तटरक्षक बल से 2047 तक के लिए एक भविष्यवादी रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि युद्ध अब महीनों में नहीं बल्कि घंटों और सेकंडों में तय हो रहे हैं, जहां उपग्रह, ड्रोन और सेंसर निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में तैयारियों, अनुकूलन और त्वरित प्रतिक्रिया को तटरक्षक की दृष्टि का आधार बनाना होगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि तटरक्षक के आधुनिकीकरण में सरकार लगभग 90 प्रतिशत पूंजीगत बजट स्वदेशी साधनों पर खर्च कर रही है। जहाज और विमान निर्माण, मरम्मत और रखरखाव का काम अब देश में ही हो रहा है। इससे न केवल सुरक्षा मजबूत हुई है बल्कि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग और अर्थव्यवस्था को भी बल मिला है। इस सम्मेलन में परिचालन प्रदर्शन, लॉजिस्टिक्स, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही है। इंजीनियर-इन-चीफ सहित रक्षा मंत्रालय और तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी इसमें भाग ले रहे हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि समुद्री सुरक्षा में तकनीकी उन्नति आवश्यक है। राजनाथ सिंह का यह बयान न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। हमें इन खतरों का सामना करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

समुद्री खतरे क्या हैं?
समुद्री खतरे में जीपीएस स्पूफिंग, ड्रोन और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके होने वाली आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं।
रक्षा मंत्री ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि समुद्री खतरे अब तकनीकी और बहुआयामी हो गए हैं, और इनसे निपटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर डिफेंस को शामिल करना आवश्यक है।
भारतीय तटरक्षक बल की भूमिका क्या है?
भारतीय तटरक्षक बल अवैध गतिविधियों, मानव तस्करी, और समुद्री अपराधों पर लगाम कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
रक्षा मंत्री का रोडमैप क्या है?
रक्षा मंत्री ने तटरक्षक बल से 2047 तक के लिए एक भविष्यवादी रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया है।
समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत की क्या योजना है?
भारत सरकार समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगभग 90 प्रतिशत पूंजीगत बजट स्वदेशी साधनों पर खर्च कर रही है।