क्या 'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता के फैसले को वापस लेना स्वागतयोग्य कदम है?: प्रियंका चतुर्वेदी
सारांश
Key Takeaways
- संचार साथी ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।
- प्रियंका चतुर्वेदी ने इस निर्णय का स्वागत किया है।
- यह कदम नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संचार साथी ऐप से जुड़ी समस्याओं के बीच सरकार ने इसे मोबाइल में प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार ने यह महसूस किया कि उनका झूठ उजागर हो गया है और उन्होंने ऐप की अनिवार्यता को वापस लेने का निर्णय लिया है। मैं इस निर्णय का स्वागत करती हूँ।
प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "जब नोटिफिकेशन आया था, मैंने कहा था कि यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह जनता को विकल्प नहीं दे रहा, बल्कि इस ऐप को बाध्य कर रहा है कि यह प्रीलोडेड ऐप होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसा कोई सरकारी ऐप नहीं है जो लोगों के मोबाइल में प्री-लोडेड होना अनिवार्य बनाता हो। जब हमने इसका विरोध किया, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केवल आधा सच सामने रखा कि जिसे रखना है, वह रखे और जिसे हटाना है, वह हटाए। यह भी पूरी तरह से गलत था, क्योंकि ऐप प्री-लोडेड था और उसके पास फोन की सभी एक्सेस थी।"
उन्होंने कहा, "देश ने देखा कि कैसे पत्रकारों के मोबाइल में पैगासस डालने की कोशिश की गई थी। विपक्षी नेताओं को भी संदेश मिला था कि स्टेट सर्विलेंस ऐप लगाए गए हैं। वे चाहते थे कि देश की जनता का डेटा लेकर उसका उपयोग करें। सरकार ने समझा कि उनका झूठ पकड़ा गया है और ऐप को वापस लिया है, जिसका मैं स्वागत करती हूं।"
गौरतलब है कि बुधवार को संचार मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने संचार साथी ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। यह कदम उस समय उठाया गया है, जब संचार साथी ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन पर विवाद बढ़ गया था और कई विपक्षी नेताओं ने इस निर्णय पर सवाल उठाए थे।