क्या सपा छात्र नेता को 'अ' से अखिलेश और आजम पढ़ाना भारी पड़ा?

सारांश
Key Takeaways
- शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान देना है।
- राजनीतिक विवादों में शिक्षा को नहीं लाना चाहिए।
- पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठते हैं।
- सरकार को शिक्षा के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
- समाज में शिक्षा का महत्व हमेशा सर्वोपरि रहना चाहिए।
सीतापुर, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में समाजवादी पार्टी (सपा) छात्र सभा के जिलाध्यक्ष शिवम सिंह को पीडीए पाठशाला में बच्चों को 'अ' से 'अखिलेश' और 'आजम' पढ़ाना महंगा पड़ गया। इस कृत्य के बाद उन्हें 16 घंटे तक पुलिस अभिरक्षा में रहना पड़ा और फिर जमानत मिली।
सपा छात्र सभा के जिलाध्यक्ष शिवम सिंह पीडीए पाठशाला में बच्चों को 'अ' से 'अनार' की जगह 'अखिलेश' और 'आजम' पढ़ा रहे थे। जब पुलिस को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने शिवम को हिरासत में ले लिया।
पूरे मामले पर शिवम सिंह ने पत्रकारों को बताया कि सामान्य सी बात पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
उन्होंने कहा, "शुक्रवार रात करीब 12:06 बजे कोतवाली पुलिस बड़ी संख्या में मेरे घर पहुंची। उन्होंने मुझे हिरासत में ले लिया और करीब 16 घंटे तक हिरासत में रखा। उन्होंने बस 'अ' से अनार की जगह अखिलेश पढ़ाने के कारण मुझे हिरासत में लिया। यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा।"
उन्होंने बताया, "16-17 घंटे हिरासत में रहने के दौरान मुझे जो तकलीफें और दर्द हुआ, उसे मैं किसी से नहीं कह सकता। यह बहुत दुखद है कि केवल बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार ऐसी कार्रवाई करेगी। समाज इसे याद रखेगा कि छोटी सी बात पर विपक्ष के साथ कैसे व्यवहार किया गया।"
समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश प्रमुख महासचिव रॉबिन सिंह यादव ने कहा, "छात्र सभा के जिलाध्यक्ष शिवम सिंह ने पीडीए पाठशाला का आयोजन किया था और उसमें बच्चों को पढ़ाते थे। पुलिस ने रात 12 बजे शिवम को उसके घर से उठाया। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने की कोशिश की। यह सरकार की दूषित मानसिकता का प्रतीक है।"
—राष्ट्र प्रेस
एससीएच/एबीएम