क्या ट्रंप की तारीफ से देश का भला होगा? : सपा सांसद वीरेंद्र सिंह

सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप की तारीफ से प्रधानमंत्री को प्रभावित नहीं होना चाहिए।
- सपा सांसद ने भाजपा की कार्यशाला पर सवाल उठाया।
- जीएसटी दरों में कटौती का श्रेय विपक्ष को दिया।
- Bihar की जनता को धोखा देने का आरोप।
- देश के स्वाभिमान को बनाए रखने की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'ग्रेट प्राइम मिनिस्टर' कहने के बाद, सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत 140 करोड़ लोगों का देश है और यहां कई प्रधानमंत्री हुए हैं, जिन्होंने अपनी दृढ़ता और गंभीरता से अपनी जिम्मेदारी निभाई है। प्रधानमंत्री को छोटी-छोटी घटनाओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
वीरेंद्र सिंह ने रविवार को समाचार न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "ट्रंप भगवान नहीं हैं कि उनकी प्रशंसा से देश का भला हो जाएगा। पहले वे आपकी आलोचना करते थे और अब प्रशंसा कर रहे हैं। पूरा देश आपके साथ है, इसलिए एक मजबूत प्रधानमंत्री को अपने आचार-व्यवहार को बनाए रखना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश के स्वाभिमान के प्रतीक हैं, इसलिये मैं नहीं मानता कि ट्रंप की थोड़ी सी सराहना से प्रधानमंत्री खुश हो जाएं और आलोचना पर रोष्ट हो जाएं। यह प्रधानमंत्री का आचरण नहीं होना चाहिए।
सपा सांसद ने उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा द्वारा सांसदों के लिए आयोजित कार्यशाला पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "अन्य पार्टियां भी कार्यशालाएं करती हैं, लेकिन हमारी कार्यशालाएं राजनीतिक मुद्दों पर होती हैं। भाजपा की कार्यशाला एक 'मॉडल क्लास' की तरह है, जिसमें उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रक्रिया सिखाई जा रही है।"
जीएसटी दरों में कटौती पर केंद्र सरकार पर हमला करते हुए वीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब भी सरकार को सद्बुद्धि आएगी, हम उसका स्वागत करेंगे, लेकिन इसका असली श्रेय विपक्ष को जाता है। हम विपक्षी दल लगातार आम उपभोक्ता की वस्तुओं पर लगाए गए टैक्स का विरोध कर रहे थे।
सरकार ने दही, पनीर, पैकेट वाले आटे और मकान जैसी आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स लगाया था, जिसे हमारे संघर्ष के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा।
सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने बिहार के नेता तेजस्वी यादव के बयान का समर्थन करते हुए कहा, "यह निश्चित रूप से बिहार के साथ धोखा है। चुनावों के समय केंद्र सरकार बड़े-बड़े घोषणाएं करती है, लेकिन क्या बिहार में एक भी फैक्ट्री लगी? क्या वहां औद्योगीकरण हुआ? डबल इंजन की सरकार का नारा केवल गुजरात के विकास के लिए है, बिहार के लिए नहीं। बिहार की जनता समझ चुकी है कि असली मकसद बिहार में मजदूर पैदा करना है ताकि वे गुजरात की फैक्ट्रियों में काम कर सकें।"