क्या सपा सांसदों की मस्जिद बैठक पर भाजपा का सवाल उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- अखिलेश यादव ने मस्जिद में चाय पीने की बात कही है।
- भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है।
- धर्म और राजनीति का जटिल संबंध इस विवाद में उजागर हो रहा है।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और अन्य पार्टी सांसदों द्वारा संसद भवन के निकट एक मस्जिद में बैठक करने का मामला गरमा गया है। इस पर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि हमारे नेता ने मस्जिद के अंदर कोई गतिविधि नहीं की, वे केवल चाय पीने गए थे।
अवधेश प्रसाद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह भाजपा की सोच और विचारधारा है, और जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह से झूठे हैं। वे गलत जानकारी के आधार पर भ्रामक बयान दे रहे हैं। हमारे नेता ने मस्जिद में कोई गतिविधि नहीं की। हां, यह सच है कि हमारे सांसद वहां गए थे और उन्होंने चाय पीने का अनुरोध किया था। इसी कारण अखिलेश यादव उनके निमंत्रण पर वहां गए थे। मैं पूछता हूं कि अखिलेश यादव के वहां चाय पीने से भाजपा को क्यों परेशानी हो रही है?"
इससे पहले, अखिलेश यादव ने मस्जिद में बैठक को लेकर सफाई दी थी। उन्होंने कहा, "आस्था एकजुट करती है, और जो एकता का काम करती है, हम उसके साथ हैं। लेकिन भाजपा चाहती है कि कोई एकजुट न हो, दूरियां बनी रहें। हम सभी धर्मों में आस्था रखते हैं, लेकिन भाजपा का असली हथियार धर्म है।"
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव और उनके सांसदों की तस्वीर साझा कर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, "समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद परिसर के पास स्थित मस्जिद में राजनीतिक बैठक की। ये वही हैं, जिन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन को 'राजनीतिक प्रोजेक्ट' बताकर दूरी बना ली थी। यह 'धर्मनिरपेक्षता' नहीं, बल्कि वोट बैंक के लिए किया गया पाखंड है।"