क्या बिहार सरकार को लोगों की तकलीफ और युवाओं की उम्मीद का कोई ख्याल नहीं है? - कन्हैया कुमार
सारांश
Key Takeaways
- बिहार सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- युवाओं की उम्मीदों का ख्याल नहीं रखा जा रहा।
- बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
- महागठबंधन एक विकल्प के रूप में उभरा है।
- बदलाव की आवश्यकता पर कन्हैया कुमार ने जोर दिया।
पटना, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार ने शनिवार को बिहार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार सरकार को न तो राज्य के लोगों की तकलीफ की फिक्र है और न ही युवाओं की उम्मीदों की। उन्होंने यह भी कहा कि बीस वर्षों से सत्ता में रहने वाले नेता अब अपने ही घोषणा पत्र पर बात करने से डरते हैं।
उन्होंने यहां आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि छठ महापर्व के बाद भी बिहार के लोग अब भी 'कमाई, पढ़ाई और दवाई' के लिए बाहर जा रहे हैं। यदि यही सुशासन है, जिसमें हत्या, लूट, बलात्कार और अपहरण रोज की घटनाएं बन गई हैं, तो कुशासन किसे कहा जाएगा? उन्होंने कहा कि राज्य में सुशासन अब केवल पोस्टरों और नारों में ही रह गया है।
दिनदहाड़े अपराध की घटनाएं हो रही हैं और सरकार अपनी जवाबदेही से भाग रही है। कन्हैया कुमार ने कहा कि जब भी प्रधानमंत्री बिहार आते हैं, उन्हें सिर्फ 'चारा' याद आता है, लेकिन विकास नहीं। शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि तीन साल की डिग्री अब पांच साल में पूरी होती है, पेपर लीक होना आम बात है और विश्वविद्यालयों में अब भी 90 के दशक का सिलेबस पढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हॉस्टल की स्थिति ऐसी है कि वहां रहना जान के जोखिम में डालने जैसा है। शराबबंदी पर उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी अब 'होम डिलीवरी' में बदल गई है। पुलिस की मिलीभगत से यह कारोबार बढ़ रहा है। शिक्षकों और सिपाहियों की पेंशन के लिए सरकार कहती है कि पैसे की कमी है। यही इनकी प्राथमिकता है—नेताओं के लिए पैसा है, जनता के लिए नहीं।
कन्हैया कुमार ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ सरकार को बदलने का नहीं, बल्कि बिहार को बचाने का चुनाव है। यह चुनाव उस कोशिश को रोकने का अवसर है जो बिहार की संपत्ति को गुजरात की तिजोरी में भेजना चाहती है। बिहार के लोग बदलाव चाहते हैं और बदलाव का विकल्प महागठबंधन है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन का विजन रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समान भागीदारी पर आधारित है। वोट की ताकत जनता के हाथ में है और वही बिहार का भविष्य तय करेगी।