क्या सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग के संयोग में इन कार्यों को करना चाहिए?

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क्या सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग के संयोग में इन कार्यों को करना चाहिए?

सारांश

आश्विन माह की सप्तमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का अद्भुत संयोग हो रहा है। यह दिन कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अत्यंत शुभ है। जानें इस दिन क्या करना चाहिए और कैसे प्राप्त करें विशेष फल।

Key Takeaways

  • सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग विशेष फल लाता है।
  • इस दिन निवेश, यात्रा और शिक्षा के कार्यों की शुरुआत करें।
  • व्रत रखने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • अर्घ्य देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
  • गुड़ और तांबे का दान महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर रविवार को एक महत्वपूर्ण अवसर आ रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का अद्भुत संयोजन बन रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 29 सितंबर को सुबह 3:55 बजे तक वृश्चिक राशि में रहेंगे। इसके बाद धनु राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 बजे से लेकर 12:35 बजे तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 4:41 बजे से दोपहर 6:10 बजे तक रहेगा।

सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है, जो किसी विशिष्ट नक्षत्र के मेल से उत्पन्न होता है।

इस योग में किए गए कार्यों को सफलता प्राप्त होती है और यह व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर अग्रसर करता है। इसका मुहूर्त 29 सितंबर को सुबह 3:55 बजे से लेकर 6:13 बजे तक रहेगा।

रवि योग ज्योतिषीय दृष्टि से एक लाभकारी योग है। यह तब बनता है, जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है। इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय संबंधी कार्यों की शुरुआत करना अत्यंत फायदेमंद माना जाता है।

अग्नि और स्कंद पुराणों के अनुसार, रविवार को व्रत रखने से सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से आरंभ किया जा सकता है। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है।

व्रत आरंभ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को स्वच्छ करें, फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें, उसके बाद व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

इसके अतिरिक्त, रविवार को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र "ऊँ सूर्याय नमः" या "ऊँ घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ होता है। रविवार को गुड़ और तांबे का दान भी महत्वपूर्ण होता है। इन उपायों से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का आगमन होता है।

एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें और व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।

Point of View

यह कहना आवश्यक है कि ज्योतिषीय योगों का महत्व केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी है। इन योगों के माध्यम से व्यक्ति अपनी जीवन दिशा तय कर सकता है और सफलता की ओर अग्रसर हो सकता है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

सर्वार्थ सिद्धि योग क्या है?
सर्वार्थ सिद्धि योग एक ज्योतिषीय योग है, जो किसी विशेष नक्षत्र के मेल से बनता है और इस दिन किए गए कार्यों में सफलता की संभावना होती है।
रवि योग का महत्व क्या है?
रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र के विशेष स्थानों पर होता है, जिससे इस दिन किए गए कार्यों में विशेष लाभ होता है।
इस दिन क्या कार्य करने चाहिए?
इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित कार्यों की शुरुआत करना लाभकारी होता है।
रविवार को व्रत रखने का क्या लाभ है?
रविवार को व्रत रखने से सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्या सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए?
जी हाँ, सूर्य देव को जल अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।