क्या चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के प्रवक्ता की तरह कार्य कर रहा है? : पप्पू यादव

सारांश
Key Takeaways
- पप्पू यादव ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
- भाजपा पर सत्ता में बने रहने के लिए पिछवाड़े से काम करने का आरोप।
- कांग्रेस महागठबंधन का दौरा गरीबों की समस्याओं को उजागर करेगा।
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता को बनाए रखना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
पटना, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को दो वोटर कार्ड मामलों में चुनाव आयोग द्वारा नोटिस भेजे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आयोग भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है और भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है। पप्पू यादव ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सत्ता पक्ष की तरह कार्य कर रहा है।
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए पप्पू यादव ने आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाते हुए इसे संदिग्ध बताया और कहा कि आयोग ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। उन्होंने कहा कि जब भाजपा के प्रवक्ता बयान देते हैं और उसके बाद नोटिस भेजा जाता है, तो यह बिल्कुल गलत है।
पप्पू यादव ने तंज करते हुए कहा कि आयोग अलाद्दीन का चिराग नहीं है कि नोटिस भेजकर सब कुछ ठीक कर देगा। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग ने अपनी कार्यशैली से यह साबित कर दिया है कि वह भाजपा के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहा है और अपनी प्रासंगिकता खो चुका है।
कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी के बिहार दौरे पर उन्होंने कहा कि वे बिहार में महागठबंधन (कांग्रेस-राजद गठबंधन) के साथ एक राज्यव्यापी दौरे की शुरुआत करने जा रहे हैं, जो कटिहार तक होगा। इस दौरे का उद्देश्य बिहार के गरीबों, दलितों, और महादलितों की समस्याओं को उजागर करना और विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के तहत मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ विरोध जताना है।
सांसद ने कहा कि बिहार की बुरी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प के रूप में उभर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा पिछले दरवाजे से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है, लेकिन महागठबंधन इसे रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने यह भी कहा कि गरीबों की आवाज को किसी भी कीमत पर दबने नहीं दिया जाएगा।
अमित शाह के दौरे पर उन्होंने कहा कि भाजपा को केवल चुनावी वर्ष में भगवान की याद आती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सनातन धर्म और राम-सीता की संस्कृति को नहीं समझती, बल्कि इसका उपयोग केवल चुनावी लाभ के लिए करती है। अमित शाह का दौरा बिहार के लोगों की भलाई के लिए नहीं, बल्कि केवल चुनावी है।