क्या छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भूपेश बघेल और चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली?

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क्या छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भूपेश बघेल और चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली?

सारांश

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में भूपेश बघेल और उनके बेटे को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया है। जानिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा और क्यों यह मामला चर्चा में है।

Key Takeaways

  • छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में भूपेश बघेल और चैतन्य बघेल को राहत नहीं मिली।
  • सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई का आदेश दिया।
  • कोर्ट ने प्रभावशाली व्यक्तियों की सीधी पहुँच पर सवाल उठाए।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इनकार करते हुए उन्हें अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश भी दिया है कि वह दोनों की अर्जियों पर जल्द सुनवाई करे।

भूपेश बघेल और उनके बेटे की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कई सख्त टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने कहा कि दोनों ने एक ही याचिका में पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग भी की है, जो उचित नहीं है।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पिता-पुत्र के सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर भी सवाल उठाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि जब किसी मामले में कोई प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होता है, तो वो सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है। अगर हम ही हर मामले की सुनवाई करेंगे, तो अन्य अदालतों का क्या उपयोग रह जाएगा? अगर ऐसा होता रहा तो फिर गरीब लोग कहां जाएंगे? एक आम आदमी और साधारण वकील के पास सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने की कोई जगह ही नहीं बचेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने के नाम पर याचिकाकर्ता सीधे अंतिम राहत नहीं मांग सकते। कोर्ट ने कहा कि एक ही याचिका में आप सब कुछ नहीं मांग सकते। इसके लिए तय प्रक्रिया और मंच हैं। कोर्ट ने चैतन्य बघेल को जमानत याचिका के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा और यह भी निर्देश दिया कि हाईकोर्ट इस पर जल्द सुनवाई करे। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए अलग से याचिका दाखिल करने की सलाह दी।

Point of View

बल्कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए समानता के सिद्धांत पर भी सवाल उठाता है। एक राष्ट्रीय संपादक के रूप में, हमारा मानना है कि हर नागरिक को न्याय की पहुँच मिलनी चाहिए, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

भूपेश बघेल और चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से क्या राहत मिली?
उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली और उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को क्या निर्देश दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह दोनों की अर्जियों पर जल्द सुनवाई करे।
क्या सुप्रीम कोर्ट ने पिता-पुत्र के सीधे आने पर सवाल उठाया?
जी हां, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इस पर सवाल उठाया और कहा कि प्रभावशाली लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं।