क्या सत्येंद्र जैन और उनके परिवार को 6 साल तक परेशानी का सामना करना पड़ा?

सारांश
Key Takeaways
- सत्येंद्र जैन के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
- भाजपा और आप के बीच राजनीतिक संघर्ष जारी है।
- सीबीआई की जांच में भारी खर्च हुआ है।
- सत्येंद्र जैन ने 6 साल तक मानसिक तनाव का सामना किया।
- दिल्ली की सड़कें बदहाल हैं।
चंडीगढ़, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ लोक निर्माण विभाग में भर्ती मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इस पर आप नेता सत्येंद्र जैन की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि मुझे और मेरे परिवार को 6 साल तक भुगतना पड़ा है।
सत्येंद्र जैन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मेरे खिलाफ यह केस 29 मई, 2019 को 6 साल पहले दर्ज किया गया था। 30 मई 2019 को मेरे घर पर सीबीआई की रेड हुई थी और इस बात को प्रमुखता से उठाया गया। यह तक कहा गया कि सत्येंद्र जैन के घर सीबीआई की रेड हुई है और उस रेड के दौरान स्थिति ऐसी थी कि बच्चों के बैग को भी नहीं छोड़ा गया था। इसके अलावा, मेरी पत्नी का पर्स चेक किया गया और घर में मौजूद हर किसी का मोबाइल भी चेक किया गया था। आज सीबीआई ने कोर्ट में अपनी तरफ से एक एप्लिकेशन दाखिल की है। उसमें बताया गया कि मेरे खिलाफ करप्शन का कोई सुबूत नहीं मिला है।"
उन्होंने कहा, "भाजपा को मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन इस केस के कारण 6 साल तक मुझे और मेरे परिवार को काफी कुछ भुगतना पड़ा। इस केस की जांच के लिए सीबीआई की एक टीम को लगा रखा था, लेकिन उन्हें क्या मिला? मुझे लगता है कि इस केस में 20 से 30 करोड़ तो सीबीआई के ही खर्च हो गए होंगे। इसके बावजूद उन्हें केस में कुछ नहीं मिला।"
सत्येंद्र जैन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "दिल्ली में भाजपा की सरकार इस मुद्दे पर बन गई कि अगर केजरीवाल दोबारा आएंगे तो उन्हें काम नहीं करने देंगे। चाहे उनके खिलाफ कितने भी केस करें, उन्हें काम करने नहीं दिया जाएगा। मुझे लेकर तो सरेआम यह भी कहा गया कि अगर जनता ने सत्येंद्र जैन को जिताया तो उसे दोबारा जेल भेज दिया जाएगा। शायद इसी वजह से जनता ने उन्हें (भाजपा) मौका दिया है। 27 साल के बाद भाजपा को दिल्ली की जनता ने चुना है। मैं उनसे इतना ही कहूंगा कि उन्हें कम से कम 27 महीने तो काम करना चाहिए। वह सिर्फ सीएजी रिपोर्ट को पेश करने में लगे हुए हैं। दिल्ली की सड़कों का हाल बेहाल है और जहां कारें चलती थीं, वहां अब नाव चलाने की नौबत आ गई है।