क्या हरियाली अमावस्या पर पितरों का आशीष और भगवान शिव का वरदान प्राप्त कर सकते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- हरियाली अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद लेना महत्वपूर्ण है।
- इस दिन विशेष योग का संयोग होता है।
- भगवान शिव की पूजा से जीवन में सुख और शांति मिलती है।
- पेड़-पौधे लगाने का महत्व है।
- गंगाजल से स्नान करने से मानसिक शुद्धि होती है।
नई दिल्ली, २३ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हरियाली अमावस्या इस गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही, सूर्य देव कर्क राशि में और चंद्रमा १० बजकर ५९ मिनट तक मिथुन राशि में रहेंगे। इसके बाद चंद्रमा कर्क राशि में गोचर करेंगे।
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त १२ बजे से शुरू होकर १२ बजकर ५५ मिनट तक रहेगा। राहुकाल का समय ०२ बजकर १० मिनट से शुरू होकर ०३ बजकर ५२ मिनट तक रहेगा।
हरियाली अमावस्या को सावन अमावस्या भी कहा जाता है, जो कि अमावस्या सावन की शिवरात्रि के तुरंत बाद और हरियाली तीज से पहले आती है। इसे 'हरियाली' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सावन के हरे-भरे मौसम में आती है, जब प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती है।
इस दिन बहुत से लोग पूजा-पाठ के साथ-साथ पौधे भी लगाते हैं। हरियाली अमावस्या पितरों को समर्पित होती है, इसलिए इस दिन पितरों के नाम पर दान और तर्पण करने का विशेष महत्व है। विवाहित महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य के लिए झूले की पूजा भी करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में मधुरता और संतान सुख मिलता है।
इस दिन पितरों के तर्पण के लिए सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करें। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाएं। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। स्नान के बाद ध्यान लगाना और अपने ईष्ट का स्मरण करना चाहिए। इसके बाद शिवजी का विशेष पूजन करें। भगवान शिव को आक, मदार जैसे फूल चढ़ाना बहुत लाभकारी माना जाता है। साथ ही, पीपल के पेड़ की पूजा करें, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।
घर के मुख्य द्वार पर घी का दिया जलाएं। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष और शनि दोष जैसे अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
उत्तर भारत में हरियाली अमावस्या पर मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में विशेष दर्शनों का आयोजन किया जाता है। भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए हजारों भक्त मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में जाते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में बनाए जाने वाले फूल बंगले की विश्व प्रसिद्धि है। इसके अलावा, शिव मंदिरों में भी विशेष शिव दर्शन की व्यवस्था की जाती है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में इसे आषाढ़ अमावस्या के रूप में जाना जाता है। गुजरात में इसे 'हरियाली अमावस' और 'हरियाली अमास' भी कहा जाता है।