क्या सावन के पहले दिन काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

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क्या सावन के पहले दिन काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

सारांश

सावन के पहले दिन, काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। विशाल भीड़ के बीच 'बम-बम भोले' के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने जलाभिषेक और पूजा अर्चना की, जिससे आस्था का अद्वितीय उदाहरण देखने को मिला।

Key Takeaways

  • सावन महीने की शुरुआत में तीर्थस्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
  • हरिद्वार में 'बम-बम भोले' के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।
  • काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए व्यवस्थाएं उत्कृष्ट थीं।
  • प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर भीड़ ने आस्था का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया।

नई दिल्ली, ११ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पवित्र सावन महीने की शुरुआत होते ही देश के विभिन्न प्रमुख तीर्थस्थलों पर 'बम-बम भोले' के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। भगवान शिव को समर्पित यह महीना श्रद्धा, आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर वाराणसी, हरिद्वार और प्रयागराज जैसे तीर्थस्थलों पर शुक्रवार की सुबह भक्तिमयता, सेवा और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण देखने को मिला। हजारों शिव भक्त मंदिरों में भगवान की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए लंबी कतारों में खड़े हुए।

देवभूमि हरिद्वार में 'बम-बम भोले' और 'हर-हर महादेव' के जयकारों की गूंज है। शुक्रवार की सुबह 'हर की पौड़ी' पर श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ी। दूर-दूर से आए शिवभक्त गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं और गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं।

हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। भक्तों ने जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। श्रद्धालुओं का मानना है कि सावन में यहीं से भोलेनाथ सृष्टि का संचालन करते हैं। इसी विश्वास के चलते भक्त दूर-दूर से यहाँ दर्शन के लिए पहुंचे।

हरिद्वार में प्रशासन ने मंदिर में सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। जगह-जगह पुलिस बल तैनात है, मेडिकल कैंप, जलपान केंद्र और विश्राम स्थलों की व्यवस्था से श्रद्धालुओं को राहत मिल रही है। कांवड़ यात्रा के लिए आए भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दिन की शुरुआत 'मंगला आरती' से हुई, जिसके बाद मंदिर के द्वार आम दर्शन के लिए खोल दिए गए। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची। भक्त लंबी, लेकिन व्यवस्थित कतारों में खड़े होकर बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक थे। इस दौरान 'हर-हर महादेव' के जयघोष से मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया। वाराणसी मंडलायुक्त ने शिवभक्तों पर पुष्पवर्षा की।

दिल्ली से काशी विश्वनाथ के दर्शन करने आई एक महिला ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा, "सावन का पहला दिन है और दर्शन बहुत अच्छे से हुए। व्यवस्थाएं और सुविधाएं शानदार हैं। सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है और साफ-सफाई बहुत अच्छी है। सभी ने व्यवस्थित ढंग से मंदिर में दर्शन किए हैं।"

एक भक्त ने भी काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए की गई व्यवस्था की तारीफ की। उन्होंने कहा, "व्यवस्था उत्तम है। आराम से बाबा विश्वनाथ के दर्शन हुए हैं।"

इसी तरह प्रयागराज में भक्तों की भीड़ सावन के पवित्र महीने पर त्रिवेणी संगम में स्नान करने पहुंची है। श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में यमुना किनारे स्थित श्रीमं कामेश्वर मंदिर का रुख किया। भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा के लिए गंगाजल, दूध, बेलपत्र आदि लेकर भक्त आए। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं।

बड़ी संख्या में भक्त दशाश्वमेध घाट पर पवित्र गंगा जल लेने के लिए एकत्रित हुए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Point of View

और इस वर्ष भी यह कोई अपवाद नहीं है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

सावन का महीना क्यों महत्वपूर्ण है?
सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का समय होता है और इसे भक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है।
हरिद्वार में श्रद्धालुओं के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं?
हरिद्वार में प्रशासन ने सुरक्षा, मेडिकल कैंप और विश्राम स्थलों की व्यवस्था की है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए क्या व्यवस्था है?
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए लंबी कतारें हैं और व्यवस्थाएं उत्कृष्ट हैं।
प्रयागराज में श्रद्धालुओं की संख्या कितनी थी?
प्रयागराज में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने पहुंचे थे।
श्रद्धालुओं की आस्था कैसे दिखती है?
श्रद्धालुओं की आस्था जलाभिषेक और पूजा अर्चना के माध्यम से प्रकट होती है।