क्या सावन के पहले सोमवार पर देवघर में ‘बोल बम’ के जयकारों से गूंजा बैद्यनाथ धाम?

सारांश
Key Takeaways
- सावन की पहली सोमवारी पर बैद्यनाथ धाम में बढ़ती आस्था की झलक।
- कांवड़ियों की लंबी कतारें और ‘बोल बम’ के जयकारे।
- राज्य सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशाल टेंट सिटी का निर्माण।
- सुविधाओं के लिए डिजिटल व्यवस्था का उपयोग।
- वीआईपी दर्शन पर रोक और सभी के लिए समानता।
देवघर, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ धाम में सावन की पहली सोमवारी पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। जैसे ही सुबह तीन बजे मंदिर का पट खोला गया, बाबा की नगरी ‘बोल बम’ के जयकारों से गूंज उठी। परंपरागत कांचा जल पूजा और सरकारी पूजा के बाद अरघा से जलार्पण का सिलसिला आरंभ हुआ। सुबह आठ बजे कांवड़ियों की कतार लगभग 10 किलोमीटर तक लंबी हो गई।
बिहार के सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का पवित्र जल लेकर लाखों कांवड़िए 108 किलोमीटर की कठिन यात्रा पूरी कर बाबा धाम पहुंचे। सावन में यहाँ प्रतिदिन एक से डेढ़ लाख भक्त आते हैं, लेकिन सोमवार को भीड़ सबसे अधिक होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ‘कामना महादेव’ स्थापित है। कहा जाता है कि यहाँ सच्चे मन से मांगी गई हर कामना पूरी होती है। सावन में जलार्पण करके भक्त शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
राज्य सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष मेले में देश-विदेश से 50 से 60 लाख श्रद्धालु पहुंचेंगे। उनके लिए सुविधाओं, सुरक्षा और सहूलियतों के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने और विश्राम के लिए देवघर-सुल्तानगंज मार्ग पर कोठिया और बाघमारा में सुविधाजनक टेंट सिटी का निर्माण कराया गया है, जहाँ हजारों श्रद्धालु एक साथ विश्राम कर सकते हैं।
मेले के क्षेत्र में जगह-जगह स्नानगृह, शौचालय, चिकित्सा शिविर और सूचना केंद्र बनाए गए हैं। मेले को डिजिटल स्वरूप दिया गया है। भक्त क्यूआर कोड स्कैन करके सभी सुविधाओं की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं।
हालांकि, वीआईपी और वीवीआईपी दर्शन पर रोक लगाई गई है। आउट ऑफ टर्न दर्शन की अनुमति भी नहीं दी जा रही है। इसके साथ ही स्पर्श पूजा पर भी पाबंदी लगाई गई है। इस बार शीघ्र दर्शनम की सुविधा भी स्थगित रखी गई है। सभी श्रद्धालुओं के लिए अरघा के माध्यम से जलार्पण की व्यवस्था की गई है, ताकि भीड़ में किसी को परेशानी न हो। मेला क्षेत्र में तैनात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को विनम्रता और सेवा भाव से ड्यूटी निभाने का निर्देश दिया गया है।