क्या सेना ने लद्दाख में स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया?

सारांश
Key Takeaways
- स्वदेशी विकास: आकाश प्राइम सिस्टम भारत में विकसित किया गया है।
- सटीकता: परीक्षण में मिसाइलों ने लक्ष्यों पर सटीक वार किया।
- सुरक्षा: यह प्रणाली भारत की हवाई सुरक्षा को मजबूत करेगी।
- मौजूदा स्थिति: भारतीय सेनाओं को आधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है।
- दीर्घकालिक योजना: 1.05 लाख करोड़ की स्वदेशी खरीद परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को और अधिक सशक्त बनाने के प्रयास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। बुधवार को भारतीय सेना ने लद्दाख क्षेत्र में लगभग 15 हजार फीट की ऊंचाई पर ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया। यह सिस्टम पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है।
इस सफल परीक्षण में थल सेना की एयर डिफेंस विंग के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति रही। साथ ही, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने इस सिस्टम को विकसित किया है।
परीक्षण के दौरान, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने तेज गति से उड़ रहे दो लक्ष्यों पर सटीक निशाना साधा। यह परीक्षण एक अत्यधिक ऊंचाई वाले और विरल वायुमंडलीय क्षेत्र में किया गया, जहां सामान्य संचालन भी कठिन होता है। ‘आकाश प्राइम’ सिस्टम को भारतीय सेना की तीसरी और चौथी ‘आकाश रेजिमेंट’ में शामिल किया जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, भारत की आकाश एयर डिफेंस प्रणाली ने पाकिस्तानी सेना के चीनी लड़ाकू विमानों और तुर्की ड्रोन द्वारा किए गए हवाई हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सफलता भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं और हवाई सुरक्षा तंत्र को और सशक्त बनाएगी।
भारत अपने एयर डिफेंस सिस्टम को लगातार मजबूत कर रहा है। इसी महीने रक्षा मंत्रालय ने एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार की खरीद के लिए मंजूरी दी है, जो हवाई लक्ष्यों का पता लगाने, ट्रैक करने और फायरिंग समाधान प्रदान करने में सक्षम होगा।
भारतीय सेनाओं को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने जुलाई की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत 1.05 लाख करोड़ की स्वदेशी खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे भारतीय सेनाओं का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत होगा। सेना को मिसाइलों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की आपूर्ति की जाएगी।
इस मंजूरी के अंतर्गत थल सेना, नौसेना, और वायुसेना को आवश्यक उपकरण और हथियार मुहैया कराए जाएंगे, जो कि पूरी तरह से स्वदेशी होंगे और भारत में ही निर्मित किए जाएंगे।