क्या सिवनी लूट कांड में एसडीओपी सहित पांच हिरासत में हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सिवनी लूट कांड में मुख्यमंत्री ने सख्त कार्रवाई की।
- हिरासत में लिए गए पुलिसकर्मियों की संख्या पांच है।
- कानून का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
- सोशल मीडिया पर घटना की व्यापक चर्चा।
- प्रदेश में सुशासन का प्रयास जारी है।
भोपाल, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में हवाला के लगभग तीन करोड़ रुपए की रकम लूट प्रकरण में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए हैं, जिसके बाद अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) पूजा पांडे समेत पांच पुलिसकर्मियों को हिरासत में लिया गया है। सीएम मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।
असल में, हाल ही में सिवनी में एक वाहन चेकिंग के दौरान एक वाहन से हवाला के दो करोड़ 96 लाख रुपए बरामद किए गए थे। यह रकम एसडीओपी पांडे और अन्य पुलिसकर्मियों ने गलत तरीके से हजम कर ली। यह जानकारी तब सामने आई जब एक व्यापारी ने सिवनी पुलिस कोतवाली में इस मामले की शिकायत की। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीओपी पांडे सहित 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सिवनी लूट मामले में कड़ा रुख अपनाया और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। सिवनी एसडीओपी पूजा पांडे समेत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें से पांच आरोपी हिरासत में हैं। इसमें एसडीओपी पूजा पांडे, एसआई अर्पित भैरम, कॉन्स्टेबल योगेंद्र, नीरज और जगदीश शामिल हैं।
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना, अपराध मुक्त वातावरण बनाना और नागरिकों की सुरक्षा पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का मुख्य दायित्व है। अपने कर्तव्यों से भटकने वाले पुलिसकर्मियों को राज्य सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने सिवनी प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी होगी। प्रदेश में कानून सभी के लिए समान है। कानून का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कोई भी हों। राज्य सरकार प्रदेश में सुशासन स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस दिशा में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाएगा।
यह बताया गया है कि सिवनी मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 310(2) डकैती, 126(2) गलत तरीके से रोकना, 140(3) अपहरण और 61(2) आपराधिक षडयंत्र के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। हिरासत में लिए गए 5 अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, उनमें प्रधान आरक्षक माखन, प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला, प्रधान आरक्षक रविंद्र उईके, आरक्षक रितेश वर्मा, एसएएफ आरक्षक केदार और एसएएफ आरक्षक सुभाष सदाफल शामिल हैं।