क्या कारगिल युद्ध के शहीद उदय मान सिंह को याद कर मां हुईं भावुक?

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क्या कारगिल युद्ध के शहीद <b>उदय मान सिंह</b> को याद कर मां हुईं भावुक?

सारांश

जम्मू में कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर शहीद उदय मान सिंह की मां कांता देवी ने अपने बेटे को याद करते हुए भावुकता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने दुश्मनों का सामना किया। जानें इस दिल छूने वाली कहानी में और क्या है।

Key Takeaways

  • उदय मान सिंह ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी।
  • उनकी मां कांता देवी ने अपने बेटे की शहादत पर गर्व महसूस किया।
  • शहीदों के नाम पर स्कूलों का नामकरण किया गया है।
  • कांता देवी आज भी अपने बेटे की यादों को संजोए हुए हैं।
  • कारगिल विजय दिवस हर साल मनाया जाता है।

जम्मू, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मना रहा है। आज, 4 जुलाई 1999 को, भारतीय सेना ने टाइगर हिल को पाकिस्तानियों से मुक्त किया था। कारगिल युद्ध में शहीद हुए उदय मान सिंह की मां कांता देवी अपने बेटे की याद में भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने दुश्मनों का सामना करते हुए अद्वितीय साहस दिखाया।

केंद्र सरकार ने शहीद जवानों के नाम पर स्कूलों का नामकरण करने का निर्णय लिया है, जिसमें जम्मू के उदय मान सिंह के नाम पर भी एक स्कूल शामिल है। इस पर मां कांता देवी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, "अगर मैं भी आज चली जाऊं, तो मुझे कोई गम नहीं होगा, क्योंकि अब स्कूल मेरे बेटे के नाम से जाना जाएगा। मुझे अपने बेटे पर गर्व है।"

1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान भारतीय सेना के 500 से अधिक वीर जवान शहीद हुए थे। जम्मू के श्यामचक क्षेत्र के उदय मान सिंह ने भी देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

मां कांता देवी बताती हैं कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वह आज भी अपने बेटे का बटुआ और एक रुपए का सिक्का संभालकर रखती हैं, जिस पर गोली का निशान है। वह भावुक होकर कहती हैं कि उनके बेटे ने दुश्मन के सामने सीने पर गोली खाई, लेकिन कभी पीठ नहीं दिखाई।

यह उल्लेखनीय है कि 4 जुलाई 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स की टुकड़ी सहित अन्य बटालियनों को टाइगर हिल पर कब्जा करने का कार्य सौंपा गया था और शाम को ऑपरेशन शुरू हुआ। इस दौरान वह घायल हो गए और अगले दिन वीरगति को प्राप्त हुए।

कांता देवी बताती हैं कि उनका बेटा दो महीने परिवार के साथ बिताने के बाद कारगिल चला गया। 26 वर्ष बाद भी उसके जाने से जो खालीपन पैदा हुआ, वह महसूस होता है, लेकिन एक युद्ध नायक की मां होने का गौरव हमेशा उनके दर्द पर हावी रहता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि देश की रक्षा में दिए गए बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उदय मान सिंह जैसे शहीदों की कहानियां हमें एकजुट करती हैं और हमें अपने देश पर गर्व महसूस कराती हैं।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

कारगिल युद्ध कब हुआ था?
कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था, जो भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था।
उदय मान सिंह का योगदान क्या था?
उदय मान सिंह ने कारगिल युद्ध में अद्वितीय साहस दिखाते हुए अपनी जान की आहुति दी।
प्रधानमंत्री ने शहीदों के प्रति क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को याद किया।
कांता देवी का अपने बेटे के प्रति क्या कहना है?
कांता देवी ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है और उनकी शहादत को सदैव याद रखा जाएगा।
क्या स्कूल का नाम उदय मान सिंह के नाम पर रखा गया है?
जी हां, केंद्र सरकार ने शहीदों के नाम पर स्कूलों के नामकरण का निर्णय लिया है, जिसमें उदय मान सिंह का नाम भी शामिल है।