क्या शारदा विश्वविद्यालय आत्महत्या मामले की जांच में नया मोड़ आ रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- शारदा विश्वविद्यालय में आत्महत्या का मामला गंभीर है।
- आंतरिक जांच समिति ने आरोपियों के बयान दर्ज किए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच की मांग की है।
- विश्वविद्यालय प्रशासन ने चार प्रोफेसरों को निलंबित किया है।
- पुलिस ने फोरेंसिक जांच के लिए साक्ष्य एकत्र किए हैं।
ग्रेटर नोएडा, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शारदा विश्वविद्यालय में एक छात्रा द्वारा आत्महत्या के मामले की जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है। विश्वविद्यालय द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने जेल में बंद प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर सहित अन्य आरोपियों के बयान दर्ज कर लिए हैं।
जांच समिति की रिपोर्ट शुक्रवार शाम तक नोएडा पुलिस को सौंपने की संभावना है। पुलिस इस रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई कर सकती है।
पुलिस के सूत्रों के अनुसार, अब तक इस मामले में १५ से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, लेकिन पुलिस की अगली कार्रवाई विश्वविद्यालय की आंतरिक जांच रिपोर्ट पर निर्भर करती है।
इस रिपोर्ट के बाद कुछ अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।
इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए संबंधित विभाग के डीन सहित चार प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है।
आत्महत्या करने वाली छात्रा के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी की मौत के बाद पुलिस को सूचना देने में काफी समय लगा।
परिजनों का कहना है कि जब वे मौके पर पहुंचे, तभी उन्होंने पुलिस को घटना की जानकारी दी। इस देरी के कारण भी सवाल उठने लगे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए नोएडा पुलिस से पूरी रिपोर्ट मांगी है और घटना में हुई देरी तथा लापरवाही पर जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि छात्रा की मौत जैसे गंभीर मामलों में विश्वविद्यालय और प्रशासन की भूमिका की गहन जांच की जाए।
फिलहाल, पुलिस, विश्वविद्यालय प्रशासन और न्यायिक प्रणाली तीनों स्तरों पर यह मामला गंभीरता से जांच के दायरे में है।
इस घटना के बाद पुलिस ने छात्रा के फोन और लैपटॉप को भी फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।