क्या कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के रात्रिभोज का निमंत्रण स्वीकार किया?
सारांश
Key Takeaways
- रूस के राष्ट्रपति के लिए आयोजित रात्रिभोज में शशि थरूर का निमंत्रण।
- राहुल गांधी और खड़गे को निमंत्रण न मिलने पर विपक्ष की प्रतिक्रिया।
- लोकतंत्र के लिए पारदर्शिता और समावेशिता का महत्व।
- केंद्र सरकार के निर्णय पर उठते सवाल।
- राजनीतिक परंपराओं का महत्व।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आमंत्रित किया गया है, जबकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं मिला है।
विपक्ष ने केंद्र सरकार के इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार का कदम लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
इस पर जब शशि थरूर से पूछा गया कि क्या वह रात्रिभोज में उपस्थित होंगे, तो उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, “हां, मैं निश्चित रूप से जाऊंगा। मुझे आमंत्रित किया गया है। मैं इस आमंत्रण के लिए आभारी हूं और इसे अपने लिए एक सम्मान मानता हूं।”
जब उनसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं मिलने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार ने किस आधार पर यह निर्णय लिया है। आमतौर पर इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित किया जाता है। लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक में नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रण दिया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा क्यों किया गया, यह स्पष्ट नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के निमंत्रण आमतौर पर केंद्र सरकार द्वारा भेजे जाते हैं। अब उन्होंने किस आधार पर निमंत्रण भेजा है, यह वही बता सकते हैं। इस पर मैं क्या कह सकता हूं?
उन्होंने कहा कि राजनीतिक परंपराओं के अनुसार, ऐसे अवसरों पर न केवल नेता प्रतिपक्ष को, बल्कि अन्य दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा क्यों नहीं किया गया, यह एक रहस्य है। संभवतः उनका कोई विशेष नियम होगा, जिसके आधार पर ये निमंत्रण भेजे गए हैं।
इससे पहले, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे के दौरान विपक्ष के किसी भी नेता को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता को पुतिन से मिलने नहीं दिया जा रहा है क्योंकि सरकार असुरक्षित महसूस कर रही है। यह लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है।