क्या शतावरी महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम है? जानें इसके फायदे

सारांश
Key Takeaways
- शतावरी महिलाओं के हार्मोन को संतुलित करती है।
- यह पीसीओएस और अनियमित पीरियड्स में मददगार है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह पोषण का स्रोत है।
- यह तनाव को कम और नींद को बेहतर बनाती है।
- इसका सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शतावरी आयुर्वेद की एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। वर्तमान समय में, कई महिलाएं पीसीओएस, अनियमित पीरियड्स, हार्मोनल असंतुलन और प्रजनन से संबंधित समस्याओं का सामना कर रही हैं। इस संदर्भ में, शतावरी उनके लिए अत्यधिक लाभकारी है।
संस्कृत में शतावरी का मतलब है 'सौ पतियों वाली', अर्थात ऐसी महिला जो हमेशा स्वस्थ, सुंदर और प्रजननक्षम बनी रहे। इसलिए इसे आयुर्वेद में महिलाओं की रानी औषधि कहा जाता है। यह झाड़ीदार पौधा है और इसकी जड़ औषधीय गुणों की धनी होती है। यह शीतल, पौष्टिक, पित्त-वात शामक और शरीर को शक्ति देने वाली होती है।
शतावरी महिलाओं के हार्मोन को संतुलित करने में सहायक होती है। जो महिलाएँ पीसीओएस से परेशान हैं, उनके लिए यह बेहद प्रभावी है। यह अंडाशय में सिस्ट बनने की प्रक्रिया को धीमा करती है और मुंहासे, चेहरे के अनचाहे बालों जैसी समस्याओं को कम करती है।
अनियमित पीरियड्स की स्थिति में, यह मासिक चक्र को नियमित करने में मदद करती है, गर्भाशय को पोषण देती है और पीरियड्स के दर्द एवं अधिक रक्तस्राव में राहत प्रदान करती है। गर्भधारण में समस्याओं का सामना करने वाली महिलाओं के लिए, शतावरी ओव्यूलेशन को सुधारकर गर्भाशय को स्वस्थ बनाती है, जिससे प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। यह मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों को आवश्यक पोषण प्रदान करती है और मॉर्निंग सिकनेस या गर्भाशय की सिकुड़न में राहत देती है। यह स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी वरदान है, क्योंकि शतावरी मां के दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि करती है।
इसके अतिरिक्त, शतावरी तनाव को कम करती है, नींद को बेहतर बनाती है, कामेच्छा को बढ़ाती है और रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं को हार्मोनल बदलाव से राहत देती है। इसे चूर्ण, गोली, कल्प या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है। सामान्यतः ३ से ५ ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध के साथ प्रतिदिन लिया जाता है। हालांकि, इसका सेवन हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह से करना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में लेने से हार्मोनल ओवरस्टिमुलेशन का खतरा होता है।