क्या शिक्षा आत्मनिर्भर बनने के साथ विनम्र रहना और देश के विकास में योगदान देना सिखाती है?
                                सारांश
Key Takeaways
- शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि नैतिकता का विकास भी करना है।
 - युवाओं को आत्मनिर्भर और विनम्र बनने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है।
 - कुमाऊं विश्वविद्यालय अनुसंधान और नवाचार के लिए प्रतिबद्ध है।
 - हिमालय के संसाधनों का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है।
 - हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है।
 
नैनीताल, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की आधारशिला है। इसलिए, शिक्षा को केवल छात्रों की बुद्धि और कौशल का विकास नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके नैतिक बल और चरित्र को भी मजबूत करना चाहिए।
दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ विनम्र रहना और समाज एवं देश के विकास में योगदान देना भी सिखाती है। उन्होंने छात्रों से अनुरोध किया कि वे अपनी शिक्षा को वंचितों की सेवा और राष्ट्र के निर्माण के लिए समर्पित करें। यही सच्चा धर्म है, जो उन्हें खुशी और संतोष प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। सरकार निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिए कई नीतिगत पहल कर रही है, जो युवाओं के लिए अनगिनत अवसर पैदा कर रही हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों को युवाओं को प्रेरित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि वे इन अवसरों का लाभ उठा सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान के सही उपयोग के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय इसी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि हिमालय अपने जीवनदायिनी संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। इन संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि कुमाऊं विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सजग प्रयास कर रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में कुमाऊं विश्वविद्यालय की कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां भी हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के संकाय और छात्रों से आग्रह किया कि वे आस-पास के गांवों का दौरा करें, ग्रामीणों की समस्याओं को देखें और समझें तथा उनके समाधान खोजने के लिए जो भी संभव हो, वह करें।
उन्होंने यह भी कहा कि हमने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्रों जैसे युवाओं की इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे अपनी प्रतिभा और समर्पण के बल पर अपनी भूमिका को पूरा करेंगे।
इससे पहले, राष्ट्रपति मुर्मू ने नैनीताल स्थित नैना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और नीम करोली बाबा आश्रम, कैंची धाम में भी दर्शन किए।