शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण क्यों नहीं करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- प्रसाद चण्डेश्वर को अर्पित होता है।
- धातु या पारद से बने शिवलिंग का प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है।
- भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ाया गया प्रसाद शुभ है।
- शिवलिंग का प्रसाद जलाशयों में प्रवाहित करना बेहतर है।
नई दिल्ली, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन नजदीक है। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। आमतौर पर, नाथ जल और बेलपत्र से प्रसन्न होते हैं, लेकिन भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार अलग-अलग चीजें शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। जल, दूध, बेल पत्र, फल और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। अक्सर आपने अपने बड़ों को यह कहते सुना होगा कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। लेकिन, क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है? इसका उत्तर शिव पुराण में मिलता है।
शिव पुराण में वर्णित मंत्र "लिंगस्योपरि दत्तं यत्, नैवेद्यं भूतभावनम्। तद् भुक्त्वा चण्डिकेशस्य, गणस्य च भवेत् पदम्" यह बताता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद चण्डेश्वर को अर्पित होता है, और इसे ग्रहण करने से व्यक्ति चण्डेश्वर के पद (स्थान) को प्राप्त करता है, जिसका अर्थ है कि वह भूत-प्रेत के प्रभाव में आ सकता है या नकारात्मक असर देख सकता है।
शिव पुराण में एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के मुख से चण्डेश्वर नामक गण प्रकट हुए थे। चण्डेश्वर को भूत-प्रेतों और गणों का प्रधान माना जाता है। इस कारण शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद चण्डेश्वर का हिस्सा माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग पर अर्पित भोग चण्डेश्वर को समर्पित हो जाता है और इसे ग्रहण करना भूत-प्रेतों का भोजन खाने के समान है। इसलिए, शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाने की मनाही है। ऐसा करने से व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और उसे दोष लग सकता है।
हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में प्रसाद ग्रहण करने की अनुमति है। यदि शिवलिंग धातु या पारद (पारा) से बना हो, तो उस पर चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। शिव पुराण के अनुसार, इस तरह के प्रसाद से कोई दोष नहीं लगता। पत्थर, मिट्टी और चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। धातु से बने शिवलिंग या पारद पर चढ़ाए गए प्रसाद पर चण्डेश्वर का अंश नहीं होता है, और इन्हें ग्रहण करने से कोई दोष नहीं लगता है।
इसके अलावा, भगवान शिव की मूर्ति पर चढ़ाए गए भोग को ग्रहण करना शुभ माना जाता है। ऐसा प्रसाद खाने से कई पापों का नाश होता है और भक्त को भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है।
शिवलिंग का प्रसाद भक्तों को ग्रहण करने की जगह इसे जलाशयों में प्रवाहित या पशुओं को खिला देना चाहिए।