क्या श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद का समाधान होगा? अगली सुनवाई 26 सितंबर को

सारांश
Key Takeaways
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच विवाद का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में है।
- अगली सुनवाई की तिथि 26 सितंबर है।
- इस विवाद से संबंधित कुल 18 याचिकाएं लंबित हैं।
- मंदिर पक्ष का दावा है कि मस्जिद का निर्माण मूल मंदिर की भूमि पर हुआ।
- मस्जिद पक्ष का तर्क है कि यह विवाद पहले ही 1968 के समझौते से सुलझ चुका है।
प्रयागराज, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच चल रहे विवाद का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में जारी है। शुक्रवार को जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई की और अगली सुनवाई की तिथि 26 सितंबर निर्धारित की।
इस सुनवाई के दौरान वाद संख्या 7 और 13 विशेष रूप से चर्चा का केंद्र बने। वाद संख्या 13 में वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत की। वहीं, वाद संख्या 7 में वादी संख्या 1 का नाम हटाने के मुद्दे पर बहस हुई। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई से पहले सभी पक्ष अपनी आपत्तियां प्रस्तुत करें, ताकि मुकदमे की सुनवाई सुचारू रूप से चल सके।
यह ध्यान देने योग्य है कि इस विवाद से संबंधित कुल 18 याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं, जिनमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और भूमि पर कब्जे की मांग की गई है। इस पर लगातार बहस जारी है।
22 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में मस्जिद कमेटी द्वारा सीपीसी की धारा 151 के तहत एक आवेदन दायर किया गया था, जिसमें समेकित मुकदमों की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी। उनका तर्क था कि केवल प्रतिनिधि वाद पर सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने मंदिर पक्ष को आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए समय दिया।
18 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाद संख्या 17 (भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य) को प्रतिनिधि वाद घोषित किया था। शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी का दावा है कि केवल इसी प्रतिनिधि वाद पर सुनवाई होनी चाहिए और अन्य सभी वादों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
मंदिर पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद वास्तव में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की भूमि पर स्थित है और वहां मूल मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण किया गया था। दूसरी ओर, मस्जिद पक्ष का तर्क है कि 1968 के समझौते के तहत यह विवाद पहले ही सुलझ चुका है और अब नए मुकदमे टिकाऊ नहीं हैं।