क्या मौलाना महमूद मदनी को भड़काऊ बयानबाजी बंद करनी चाहिए?

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क्या मौलाना महमूद मदनी को भड़काऊ बयानबाजी बंद करनी चाहिए?

सारांश

विहिप प्रवक्ता श्रीराज नायर ने कांग्रेस नेताओं पर गैर-जिम्मेदाराना बयान देने का आरोप लगाया है। उन्होंने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और मौलाना महमूद मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जिससे देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। क्या ये बयान लोकतंत्र को प्रभावित करेंगे?

Key Takeaways

  • राजनीतिक बयानबाजी को जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।
  • भड़काऊ बयानों से समाज में असुरक्षा पैदा हो सकती है।
  • पार्टी संस्कृति को समझना आवश्यक है।
  • सत्ता का अहंकार नुकसानदेह हो सकता है।
  • धर्म के आधार पर विभाजन से बचना चाहिए।

मुंबई, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विहिप के प्रवक्ता श्रीराज नायर ने कांग्रेस नेताओं पर गैर-जिम्मेदाराना बयान देने का आरोप लगाया है। उन्होंने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी पर भी हमला किया है। इसके साथ ही मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' संबंधी बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

श्रीराज नायर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि रेवंत रेड्डी जब से सीएम बने हैं, वे कांग्रेस के कल्चर में घुलने की कोशिश कर रहे हैं। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ भी जुड़े रहे हैं, लेकिन खुद को कांग्रेस के कल्चर में ढालने के लिए हिंदू विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं और भगवान हनुमान पर टिप्पणी कर रहे हैं।

उन्होंने रेवंत रेड्डी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब-जब कांग्रेस के नेताओं ने हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है, तब-तब उन्हें हासिए पर जाना पड़ा है। आज कांग्रेस लगभग साफ हो चुकी है। अहंकार ही रेवंत रेड्डी को ले डूबेगा। उन्हें कम से कम हिंदू धर्म का मजाक नहीं बनाना चाहिए। सत्ता स्थायी नहीं होती है।

जिहाद वाले बयान को लेकर श्रीराज नायर ने मौलाना महमूद मदनी पर निशाना साधते हुए कहा कि मौलाना मदनी ने जिस तरह जिहाद को लेकर बयान दिया है, हम सब जानते हैं कि जिहाद सुनते ही आम लोगों के अंदर भय पैदा हो जाता है। जिहाद के कारण गरीब और निहत्थे लोगों का गला काटा गया। अल-फलाह यूनिवर्सिटी से डॉक्टर आतंकवादी घटनाओं में लिप्त पाए गए। इसी जिहाद के चलते ट्रेन में धमाके हुए, अमेरिका, स्पेन और लंदन में भी आतंकी हमले हुए। इससे आम लोगों और मानवता को डर लगता है।

उन्होंने कहा कि महमूद मदनी और अरशद मदनी में आगे निकलने की होड़ लगी हुई है। इस चक्कर में वे जिहाद को प्रमोट न करें, वरना इसका खामियाजा दोनों को भुगतना पड़ेगा। मौलाना अरशद मदनी भी भड़काऊ बयानबाजी बंद करें।

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस तुष्टिकरण नहीं छोड़ती है और अपने आप को इससे बाहर नहीं निकालती है, तो उसकी हालत और खराब ही होने वाली है। वह विपक्ष के लायक भी नहीं रह पाएगी। अगर लोकतंत्र में अच्छा और कारगर विपक्ष नहीं है, तो यह देश के लिए ठीक नहीं है।

श्रीराज नायर ने कहा कि देश के विभाजन का मूल कारण धर्म था। भारत के उपमहाद्वीप के मुसलमान हिंदुओं के साथ नहीं रहना चाहते थे। इसलिए पाकिस्तान बना। ऐसे में भारत को भी हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जवाहरलाल नेहरू को लेकर की गई टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस की संस्कृति में ही तुष्टिकरण रहा है। हिंदुओं को गोली मारने की उनकी परंपरा रही है। अगर इससे वे बाज नहीं आए, तो कांग्रेस सिर्फ म्यूजियम में ही मिलेगी।

Point of View

मेरा मानना है कि बयानबाजी का प्रभाव समाज में व्यापक हो सकता है। राजनीतिक बयानबाजी को जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए, ताकि किसी भी समुदाय के बीच तनाव न बढ़े। हमें एकजुटता की आवश्यकता है, न कि विभाजन की।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या मौलाना महमूद मदनी के बयान से समाज में तनाव बढ़ सकता है?
हां, भड़काऊ बयानबाजी से समाज में असुरक्षा और तनाव पैदा हो सकता है।
क्या कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी का असर चुनावों पर पड़ सकता है?
जी हां, गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी का असर चुनावी परिणामों पर पड़ सकता है।
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