क्या शुक्रवार का दिन सुख-समृद्धि और वैवाहिक शांति के लिए विशेष है? जानें पूजा विधि और भोग का महत्व

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क्या शुक्रवार का दिन सुख-समृद्धि और वैवाहिक शांति के लिए विशेष है? जानें पूजा विधि और भोग का महत्व

सारांश

शुक्रवार का दिन विशेष रूप से सुख और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख में जानें कैसे सही पूजा विधि से आप अपने वैवाहिक जीवन में शांति और समृद्धि ला सकते हैं। विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व और भोग का विवरण जानें।

Key Takeaways

  • शुक्रवार को पूजा से सुख और समृद्धि मिलती है।
  • मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
  • आडल योग से बचने के उपाय हैं।
  • सही पूजा विधि से वैवाहिक जीवन में शांति आती है।
  • प्रसाद वितरण से पूजा का महत्व बढ़ता है।

नई दिल्ली, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आज दोपहर 1 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इसके बाद सप्तमी तिथि आरंभ होगी। इस दिन सूर्य धनु और चंद्रमा 27 दिसंबर तक सुबह 3 बजकर 10 मिनट तक कुम्भ राशि में उपस्थित रहेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 11 बजकर 4 मिनट से लेकर 12 बजकर 22 मिनट तक होगा। इस तिथि पर आडल योग का निर्माण हो रहा है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आडल योग को अशुभ माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य करना मना होता है, लेकिन राहत की बात यह है कि इसका समय सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजे तक रहेगा। योग समाप्त होने के बाद जातक कोई भी कार्य कर सकते हैं।

हालांकि, धर्मशास्त्रों में इस योग से बचने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनमें सूर्य पुत्र की विधिपूर्वक पूजा शामिल है, जिससे उनकी कृपा बनी रहती है और दुष्प्रभाव समाप्त होते हैं।

इस दिन शुक्रवार भी है। ब्रह्मवैवर्त और मत्स्य पुराण में शुक्रवार व्रत का उल्लेख मिलता है। इसमें बताया गया है कि इस दिन मां लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि शुक्रवार व्रत से सुख, शांति, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में शांति आती है।

इस दिन पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं। ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। मंत्र जप करें, 'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' और 'विष्णुप्रियाय नमः' का जप भी लाभकारी है।

पूजा के अंत में कमल पुष्प अर्पित करें और लक्ष्मी चालीसा पढ़ें। प्रसाद में खीर, मिश्री और बर्फी बांटें।

Point of View

जो न केवल व्यक्तिगत सुख के लिए, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए भी समृद्धि का प्रतीक है। ऐसे में, इस दिन की पूजा विधियों का पालन करना और भोग का महत्व समझना आवश्यक है।
NationPress
25/12/2025

Frequently Asked Questions

शुक्रवार को पूजा कैसे करें?
शुक्रवार को पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
कौन सी देवी की पूजा करनी चाहिए?
इस दिन मां लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा करनी चाहिए।
शुक्रवार व्रत का महत्व क्या है?
शुक्रवार व्रत से सुख, शांति, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में शांति आती है।
क्या आडल योग अशुभ होता है?
हां, आडल योग अशुभ माना जाता है, लेकिन इसके समाप्त होने का समय शुभ कार्य करने के लिए उपयुक्त होता है।
क्या पूजा के बाद प्रसाद बांटना चाहिए?
हां, पूजा के अंत में प्रसाद, जैसे खीर, मिश्री और बर्फी बांटना चाहिए।
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