क्या भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अमर गाथा हमें प्रेरित करती है?

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क्या भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अमर गाथा हमें प्रेरित करती है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कैसे भारतीय राजनीति में एक नई दिशा दी? उनके योगदान और विचारों से जानें, जो आज भी हमें प्रेरित करते हैं।

Key Takeaways

  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन प्रेरणा का स्रोत है।
  • उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आज की बीजेपी का आधार है।
  • उनकी शहादत ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया।
  • वे शिक्षा और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पित थे।
  • उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। जब हम आधुनिक भारत की नींव की बात करते हैं, तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम गर्व से सामने आता है। एक अद्वितीय शिक्षाविद्, प्रखर विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक, जिन्होंने अपने विचारों और कार्यों से देश की दिशा को बदल दिया। उनकी जीवन गाथा हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। एक ऐसी महान् व्यक्तित्व, जिसने शिक्षा, राजनीति और राष्ट्रीय एकता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

6 जुलाई 1901 को कोलकाता में जन्मे श्यामा प्रसाद का जीवन प्रारंभ से ही असाधारण था। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी, जो एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति थे, ने शिक्षा के प्रति उनके गहरे लगाव को जन्म दिया। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और केवल 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने, जो उस समय का एक रिकॉर्ड था। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कीं और शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का उनका सपना साकार होने लगा।

श्यामा प्रसाद केवल किताबों तक सीमित नहीं रहे। उनका दिल देश की आजादी और एकता के लिए धड़कता था। 1940 के दशक में जब देश स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था, उन्होंने हिंदू महासभा के साथ मिलकर कार्य किया। 1951 में उन्होंने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आज की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का आधार बनी। उनका उद्देश्य एक ऐसा भारत बनाना था, जो सांस्कृतिक रूप से एकजुट हो और हर नागरिक को समान अधिकार मिले।

'एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान' के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के खिलाफ उनकी आवाज़ बुलंद थी। उनका मानना था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और इसे विशेष दर्जा देकर देश की एकता को कमजोर नहीं किया जा सकता। 23 जून 1953 को इस मुद्दे पर आंदोलन के दौरान उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उनकी शहादत ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया और उनके सपने को जीवित रखा।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी केवल एक नाम नहीं हैं, बल्कि एक विचारधारा हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और साहस के साथ कोई भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। चाहे शिक्षा का प्रसार हो, राष्ट्रीय एकता हो या सांस्कृतिक गौरव की बात, उनका दर्शन आज के युवाओं के लिए मार्गदर्शक है।

Point of View

बल्कि एक विचारधारा की कहानी है। उनकी शिक्षा, राजनीतिक दृष्टिकोण और राष्ट्र की एकता के प्रति प्रतिबद्धता हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और साहस के साथ हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कब हुआ?
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ।
उन्होंने किस संगठन की स्थापना की?
उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो अब बीजेपी के रूप में जानी जाती है।
उनकी मृत्यु कैसे हुई?
उनकी मृत्यु 23 जून 1953 को जम्मू-कश्मीर में आंदोलन के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में हुई।