क्या सिकटा विधानसभा बिहार का सीमावर्ती इलाका है जहां मतदाता बदलाव की कहानी लिखते हैं?

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क्या सिकटा विधानसभा बिहार का सीमावर्ती इलाका है जहां मतदाता बदलाव की कहानी लिखते हैं?

सारांश

सिकटा विधानसभा क्षेत्र बिहार के पश्चिम चंपारण में स्थित है, जो अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और नेपाल की सीमा से निकटता के कारण सामरिक महत्व रखता है। यहां के मतदाता बदलाव की कहानी लिख रहे हैं, जो इस क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित करते हैं।

Key Takeaways

  • सिकटा विधानसभा क्षेत्र बिहार की 200 सीटों में से एक है।
  • यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर है और नेपाल की सीमा से निकट है।
  • यहां के मतदाता सामाजिक और राजनीतिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • सिकटा की राजनीतिक पृष्ठभूमि में कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रभाव रहा है।
  • सिकटा का भौगोलिक महत्व इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बनाता है।

पटना, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम चंपारण जिले का सिकटा विधानसभा क्षेत्र, बिहार विधानसभा की 200 सीटों में से एक है। यह एक प्रमुख ग्रामीण क्षेत्र है, जिसकी आर्थिकी मुख्य रूप से कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों पर निर्भर करती है। नेपाल की सीमा से निकटता के कारण यह क्षेत्र सामरिक और सामाजिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह क्षेत्र लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक मुद्दों जैसे भूमि सुधार और गरीबी उन्मूलन के लिए सक्रिय राजनीति का केंद्र रहा है। सिकटा की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी रोचक रही है। कांग्रेस पार्टी ने यहां लगातार पांच बार जीत हासिल कर अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी। 1980 और 1985 में जनता पार्टी ने बाजी मारी, जबकि 1990 में फैयाजुल आजम ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 1991 के उपचुनाव में दिलीप वर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की और इसके बाद 2010 तक उन्होंने इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखा। दिलीप वर्मा ने समय-समय पर निर्दलीय, भाजपा और समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते भी। साल 2020 में भाकपा-माले के उम्मीदवार बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने जीत दर्ज की।

सिकटा विधानसभा क्षेत्र की आबादी का सामाजिक ढांचा विविधताओं से भरा है। यहां ठाकुर, यादव, दलित और मुस्लिम समुदायों की अच्छी-खासी संख्या है। खासतौर पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, जिससे यह सीट महागठबंधन के लिए मजबूत मानी जाती है।

निर्वाचन आयोग के 2024 के प्रस्तावित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, क्षेत्र की कुल अनुमानित जनसंख्या 4,77,603 है, जिसमें पुरुष 2,51,674 और महिलाएं 2,25,929 हैं। मतदाताओं की कुल संख्या 2,89,162 है, जिनमें पुरुष 1,53,638, महिलाएं 1,35,514 और तीसरे लिंग के 10 मतदाता शामिल हैं।

सिकटा के भौगोलिक और सामरिक महत्व भी कम नहीं है। नेपाल की सीमा से जुड़ाव के चलते यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व रखता है। पोखरिया (नेपाल)-सिकटा मार्ग भारत-नेपाल को जोड़ने वाला मुख्य रास्ता है, साथ ही पोखरिया-सिकटा कैनाल भी इस क्षेत्र में स्थित है। नेपाल में मौजूद सिकटा सिंचाई परियोजना बांके जिले की कृषि के लिए राष्ट्रीय महत्व की है।

रेल मार्ग की बात करें तो सिकटा रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र का प्रमुख स्टेशन है, जो कंगाली हाल्ट जैसे छोटे स्टेशनों से भी जुड़ा है। यह स्टेशन भारतीय रेलवे नेटवर्क का हिस्सा है और पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है।

इस प्रकार सिकटा विधानसभा क्षेत्र, सामाजिक, राजनीतिक और भौगोलिक सभी दृष्टियों से एक महत्वपूर्ण सीट के रूप में जाना जाता है, जहां का जनमत बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

Point of View

बल्कि यहां की जनसंख्या की विविधता भी इसे खास बनाती है। इसकी भौगोलिक स्थिति और सामरिक महत्व इसे और भी विशेष बनाता है।
NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

सिकटा विधानसभा क्षेत्र कहां स्थित है?
सिकटा विधानसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है, जो बिहार में है।
सिकटा का मुख्य उद्योग क्या है?
सिकटा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर आधारित है।
यहां के प्रमुख समुदाय कौन से हैं?
सिकटा में ठाकुर, यादव, दलित और मुस्लिम समुदायों की अच्छी-खासी संख्या है।
सिकटा विधानसभा क्षेत्र का मतदाता संख्या क्या है?
इस क्षेत्र में कुल 2,89,162 मतदाता हैं।
सिकटा का भौगोलिक महत्व क्या है?
सिकटा नेपाल की सीमा से जुड़ा है, जिससे यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व रखता है।