क्या राहुल गांधी के आरोप गंभीर हैं, चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप अत्यधिक गंभीर है।
- संजय राउत ने भाजपा के समर्थन में चुनाव आयोग के बर्ताव पर सवाल उठाए।
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर नागरिकों में चिंताएं बढ़ रही हैं।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट चोरी' के गंभीर आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के आरोप पूरी तरह से गंभीर हैं और चुनाव आयोग को इसके बारे में स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए।
संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "राहुल गांधी ने 'वोट की चोरी' और 'लोकतंत्र की हत्या' के संदर्भ में जो जानकारी दी है, उसके सभी सबूत चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद हैं। राहुल गांधी ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से चुनाव आयोग को चुनौती दी और बताया कि यह जानकारी आयोग की वेबसाइट से प्राप्त की गई है, फिर भी उन्हें (चुनाव आयोग) एफिडेविट की आवश्यकता है। मेरा तो यही कहना है कि उन्हें एफिडेविट भाजपा से लेना चाहिए।"
संजय राउत ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "वर्तमान चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी का एक सहायक बन गया है। यह 'शेषन' का चुनाव आयोग नहीं है, जिसने लोकतंत्र को मजबूत किया। मौजूदा आयोग निष्पक्षता और स्वतंत्रता के मामले में 'शेषन' के समय के आयोग से काफी दूर है।"
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के 'इंडिया गठबंधन' की बैठक में पीछे बैठने पर उठे सवालों पर संजय राउत ने स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, "जब आप पहले पंक्ति में बैठते हैं, तो आंखों का संपर्क सीधे स्क्रीन से होता है, जिससे उद्धव ठाकरे को थोड़ी असहजता महसूस हुई और इसलिए वह पीछे चले गए। उस समय एक प्रेजेंटेशन चल रहा था। भाजपा के लोगों को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।"
राउत ने बताया कि राहुल और सोनिया गांधी ने उद्धव, उनकी पत्नी और बेटे आदित्य ठाकरे को अपना पूरा घर दिखाया। 'इंडिया गठबंधन' की बैठक खत्म होने के बाद भी उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ राहुल गांधी के घर में ही मौजूद थे।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "महाराष्ट्र में 5 महीनों में लाखों मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े गए, जो बेहद चिंताजनक है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली हुई है और 40 लाख वोट रहस्यमय तरीके से जोड़े गए।"