क्या इंदर कुमार ने सिग्नल पर भीख मांगने वाली मिन्नी को स्टार बनाया?

Key Takeaways
- मुंबई में सपनों की दुनिया की चमक और संघर्ष है।
- इंदर कुमार ने अद्वितीय प्रतिभाओं को पहचानने का साहस दिखाया।
- मिस मिन्नी की कहानी हमें संघर्ष के महत्व को सिखाती है।
- सफलता के बाद भी गुमनामी का सामना करना पड़ सकता है।
- समाज में हर किसी की कहानी महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई की मायानगरी में हर कोई सपनों की दुनिया में खो जाने की चाह रखता है। यहां कई लोग बड़े सपने लेकर आते हैं, कुछ के सपने पूरे होते हैं, जबकि कई हजारों सितारों के बीच गुमनाम रह जाते हैं।
कुछ भाग्यशाली ऐसे होते हैं, जिन्हें गरीबी से निकालकर स्क्रीन पर चमकने का मौका मिलता है। ऐसी ही अदाकारा थीं मिस मिन्नी। उन्हें अपने कॉमेडी रोल के लिए जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मिन्नी मानसिक रूप से बीमार थीं और अपने अंतिम दिनों तक गुमनामी के अंधेरे में जीती रहीं।
मिस मिन्नी समाज के सौंदर्य के मानकों पर पूरी नहीं उतरती थीं। उनका वजन अधिक था, रंग भी सामान्य था, और नैन-नक्श भी किसी खास तरह के नहीं थे, लेकिन इसी रूप के चलते उन्हें उनकी पहली फिल्म मिली। डायरेक्टर इंदर कुमार को अपनी फिल्म 'दिल' के लिए ऐसी लड़की की आवश्यकता थी, जो खूबसूरत न हो और चेहरे पर कॉमेडी झलके। एक इंटरव्यू में अरुणा ईरानी के भाई आदि ईरानी ने बताया कि जब उनकी पहली मुलाकात हुई, तब मिन्नी सिग्नल पर भीख मांग रही थीं। इंदर कुमार को पहली नजर में ही वे पसंद आ गईं और उन्होंने उन्हें खुद एक्टिंग सिखाने का बीड़ा उठाया।
मिन्नी को 'दिल' में रोल दिया गया। उनकी फिल्म में कोई खास डायलॉग नहीं थे, लेकिन उनके चेहरे के एक्सप्रेशन और मुस्कान ने सीन को कॉमेडी का रूप दे दिया। इसके बाद उन्हें अजय देवगन और सोनाली के साथ 'दिलजले' में देखा गया और फिर 'बेटा' और 'मेला' जैसी फिल्मों में भी।
हालांकि, पर्दे पर सफलता पाने के बाद भी उनके अंतिम दिन भीख मांगते हुए गुजरे। उन्हें बताया जाता है कि उन्होंने एक ट्रक ड्राइवर से शादी की और फिर सड़कों पर भीख मांगने लगीं। अरुणा ईरानी ने एक इंटरव्यू में यह भी कहा कि मिन्नी फिल्में करने के बाद फिर से भीख मांगने लगीं और उनकी मौत सड़क पर उठाए गए गंदे खाने के कारण हुई।