क्या 'योगी मॉडल' ने उद्योग जगत का नक्शा बदल दिया है?

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क्या 'योगी मॉडल' ने उद्योग जगत का नक्शा बदल दिया है?

सारांश

उत्तर प्रदेश ने उद्योगों के नए विकास की राह पर कदम रखा है। योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों से अब राज्य 27,000 फैक्ट्रियों के साथ नए निवेश का केंद्र बन गया है। यह कहानी केवल संख्याओं की नहीं, बल्कि विश्वास और परिवर्तन की है।

Key Takeaways

  • उत्तर प्रदेश में 27,000 फैक्ट्रियों की संख्या बढ़ी है।
  • योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में औद्योगिक विकास तेज़ हुआ है।
  • राज्य अब 'न्यू इन्वेस्टमेंट हब' बन गया है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है।
  • निवेश प्रक्रियाएं अब पारदर्शी और निवेशक-हितैषी हैं।

लखनऊ, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जो कभी पिछड़ेपन और बेरोजगारी का प्रतीक था, उत्तर प्रदेश आज एक नए औद्योगिक विकास केंद्र के रूप में उभरा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने औद्योगिक विकास के क्षेत्र में जो तेज़ी दिखाई है, उसने पूरे देश को हैरान कर दिया है।

वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड 4,000 नई फैक्ट्रियां स्थापित हुईं, जिससे राज्य में फैक्ट्रियों की संख्या 27,000 के ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच गई है। यह केवल एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि नए उत्तर प्रदेश के आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदमों का प्रतीक है।

योगी सरकार ने पिछले साढ़े 8 वर्षों में उद्योगों के लिए एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है, जो न केवल निवेशकों को आकर्षित करता है, बल्कि उन्हें लंबे समय तक बनाए रखता है। राज्य में निवेश संबंधी प्रक्रियाओं को पारदर्शी और निवेशक-हितैषी बनाया गया है, जिसके कारण उत्तर प्रदेश आज देश का 'न्यू इन्वेस्टमेंट हब' बन गया है। यहाँ स्थापित फैक्ट्रियों में इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, केमिकल और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों की अग्रणी कंपनियां शामिल हैं।

वर्ष 2003 में उत्तर प्रदेश में केवल 8,980 फैक्ट्रियां थीं। 2021 में यह संख्या बढ़कर 16,503 तक पहुँच गई। 2022 में यह संख्या 17,481 से होते हुए 2023 में 19,100 का आंकड़ा पार कर गई। 2025 में अब यह 27,000 तक पहुँच गई है, जो उल्लेखनीय वृद्धि है। यह वृद्धि केवल संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि औद्योगिक भूगोल में एक संरचनात्मक परिवर्तन का संकेत है। अब निवेश केवल नोएडा, ग्रेटर नोएडा या लखनऊ तक सीमित नहीं है, बल्कि बरेली, कानपुर, झांसी, गोरखपुर, आजमगढ़ और प्रयागराज जैसे शहरों तक फैल गया है।

2023-24 की एएसआई रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश देश के टॉप-15 औद्योगिक राज्यों में चौथे स्थान पर पहुँच गया था। 2023-24 तक राज्य में 22,141 फैक्ट्रियां संचालित थीं, जो देश की कुल फैक्ट्रियों का 8.5 प्रतिशत हिस्सा थीं। इन इकाइयों में 12.80 लाख से अधिक वर्कर्स कार्यरत थे, जो देश के औद्योगिक वर्कफोर्स का 8.3 प्रतिशत था।

फैक्ट्री ग्रोथ की वार्षिक दर 16 प्रतिशत और वर्कर्स की संख्या में 8 प्रतिशत की वृद्धि ने दिखाया कि प्रदेश में न केवल उद्योग बढ़ रहे हैं, बल्कि रोजगार के अवसरों में भी लगातार विस्तार हो रहा है। 2025 में 27,000 फैक्ट्रियों की संख्या इसी का प्रमाण है।

सरकार का लक्ष्य केवल शहरी औद्योगिक विकास नहीं, बल्कि ग्राम्य औद्योगिकरण को भी बढ़ावा देना है। एमएसएमई इकाइयों और स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान, प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और निर्यात सुविधा जैसे कदम उठाए गए हैं। आज यूपी के कई ग्रामीण इलाकों में छोटे उद्योग आत्मनिर्भर भारत की जड़ें मजबूत कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की यह औद्योगिक कहानी केवल विकास का नहीं, बल्कि विश्वास, पारदर्शिता और परिवर्तन का उदाहरण बन रही है।

Point of View

मैं यह कहना चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश का यह औद्योगिक विकास न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह विश्वास और पारदर्शिता का उदाहरण प्रस्तुत करता है और दर्शाता है कि कैसे सही नीतियों के माध्यम से विकास संभव है।
NationPress
14/10/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश में कितनी नई फैक्ट्रियां खोली गईं हैं?
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 4,000 नई फैक्ट्रियां स्थापित हुई हैं।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में औद्योगिक विकास की गति कैसे रही है?
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने औद्योगिक विकास में तेज़ी दिखाई है, जिससे राज्य अब देश का 'न्यू इन्वेस्टमेंट हब' बन गया है।
उत्तर प्रदेश में फैक्ट्रियों की कुल संख्या कितनी है?
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में फैक्ट्रियों की कुल संख्या 27,000 है।
उत्तर प्रदेश में रोजगार की स्थिति कैसी है?
उत्तर प्रदेश में फैक्ट्रियों की वृद्धि के साथ रोजगार के अवसर भी लगातार बढ़ रहे हैं।
सरकार ने ग्राम्य औद्योगिकरण को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने ग्राम्य औद्योगिकरण को बढ़ावा देने के लिए अनुदान, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता जैसी सुविधाएं प्रदान की हैं।