क्या यूपी कृषि से औद्योगिक प्रगति की नई कहानी लिख रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- उत्तर प्रदेश कृषि से औद्योगिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है।
- 2.55 लाख युवाओं को रोजगार मिला है।
- राज्य में 65,000 से अधिक फूड प्रोसेसिंग इकाइयां हैं।
- हर जिले में 1,000 नई प्रोसेसिंग यूनिट्स की योजना है।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 से निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
लखनऊ, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश अब कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था को उद्योग के रूप में विकसित कर रहा है। यह राज्य तेजी से भारत का फूड प्रोसेसिंग हब बनता जा रहा है। हाल में आई ग्लोबल ट्रेड रिसर्च की रिपोर्ट में गुजरात और उत्तर प्रदेश को देश के प्रमुख प्रोसेसिंग केंद्रों में गिनाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, जहाँ गुजरात के मेहसाणा और बनासकांठा में आधुनिक डिहाइड्रेशन संयंत्र स्थापित हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के आगरा और फर्रूखाबाद जिलों में नए अत्याधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट्स की स्थापना हो रही है। इन संयंत्रों को कांट्रैक्ट फार्मिंग और कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का मजबूत आधार प्राप्त है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल रहा है। योगी सरकार का यह मिशन न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि उत्तर प्रदेश को एक कृषि से उद्योग परिवर्तन मॉडल के रूप में स्थापित कर रहा है, जहाँ खेत से लेकर फैक्ट्री तक हर स्तर पर विकास की गूंज सुनाई दे रही है।
राज्य में वर्तमान में 65,000 से अधिक फूड प्रोसेसिंग इकाइयां कार्यरत हैं, जो लगभग 2.55 लाख युवाओं को रोजगार प्रदान कर रही हैं। सरकार का उद्देश्य हर जिले में कम से कम 1,000 नई प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना करना है, जिससे खेती को मूल्य संवर्धन और रोजगार के अवसर मिल सकें। योगी सरकार ने अब तक 15 से अधिक एग्रो एवं फूड प्रोसेसिंग पार्क विकसित किए हैं, जिनमें बरेली, बाराबंकी, वाराणसी और गोरखपुर शामिल हैं। बरेली में बीएल एग्रो द्वारा लगभग 1,660 करोड़ रुपए की इंटीग्रेटेड एग्रो प्रोसेसिंग हब की स्थापना का प्रस्ताव है, जिसमें चावल मिलिंग, तेल निष्कर्षण और पैकेजिंग जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
उत्तर प्रदेश सरकार का विशेष ध्यान अब फल-सब्जी प्रसंस्करण, उच्च मूल्य वाली फसलों और निर्यात-उन्मुख उद्योगों पर है, ताकि राज्य की कृषि उत्पादकता वैश्विक बाजार से सीधे जुड़ सके। इस दिशा में आगरा में इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की योजना बनाई गई है, जहाँ आलू और अन्य ट्यूबर फसलों पर अत्याधुनिक अनुसंधान होगा। यह पहल कानपुर, आगरा, लखनऊ और फर्रूखाबाद जैसे प्रमुख आलू उत्पादक जिलों के लिए बड़ा अवसर साबित होगी, जिससे किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतें और निर्यात की संभावनाएं मिलेंगी।
वर्तमान में अमेरिका, बांग्लादेश, यूएई और वियतनाम जैसे देश भारत से बड़े पैमाने पर प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स का आयात कर रहे हैं, जिससे भारतीय प्रसंस्करण उद्योग को नई पहचान मिल रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत का उपभोक्ता व्यय 6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लिए इस क्षेत्र में निवेश, रोजगार और निर्यात के अभूतपूर्व अवसर लेकर आएगा।
उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को गति देने के लिए योगी सरकार ने एक स्पष्ट और सशक्त वित्तीय और नीतिगत वातावरण तैयार किया है। राज्य की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023 इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है, जिसके तहत 19 नई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।
नीति के तहत उद्यमियों को उत्पादन-आधारित सब्सिडी, ब्याज सहायता, भूमि उपयोग, स्टाम्प ड्यूटी और विकास शुल्क में छूट जैसी आकर्षक रियायतें दी जा रही हैं। इसके अलावा, सौर ऊर्जा, कोल्ड-चेन, क्लस्टर मॉडल और तकनीकी उन्नयन को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नीति का मुख्य फोकस 'कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता' पर है, ताकि किसानों, प्रोसेसर्स और उद्यमियों के बीच त्रिस्तरीय वैल्यू चेन बन सके। बड़े बाजार, उत्पादन की कम लागत और दक्ष मानव संसाधन जैसी खूबियों के कारण उत्तर प्रदेश आज देश के सबसे आकर्षक फूड प्रोसेसिंग निवेश केंद्रों में गिना जा रहा है।